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भारतीय संविधान की प्रस्तावना

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भारतीय संविधान की प्रस्तावना
प्रस्तावना

 भारतीय संविधान की प्रस्तावना

# संविधान सभा की स्थापना 9 दिसंबर 1946 को हुआ था ।
#संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को और अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुआ था । इन बैठकों के बीच कुल 12 बैठके संपन्न हुई। 
# प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 से 23 दिसंबर 1946 के बीच संपन्न हुआ , और इसी बैठक के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव को पेश किया गया था, उद्देश्य प्रस्ताव को 13 दिसंबर 1946 को पेश किया गया था,और यह उद्देश्य प्रस्ताव,संविधान सभा की दूसरी बैठक के जो की 20 जनवरी 1947 से 25 जनवरी 1947 के चली थी इसी दौरान इस उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को स्वीकार कर लिया गया था।

# भारत की प्रस्तावना पर कुल चार देशों का प्रभाव पड़ा है।
    1.अमेरिका ,2. ऑस्ट्रेलिया 3. फ्रांस 4. रूस 
# अमेरिका विश्व का प्रथम देश है जिसने सर्वप्रथम प्रस्तावना को स्वीकार्य किया था।
# भारत के संविधान निर्माताओं ने कुल 60 देशों के संविधान को पढ़ा और भारतीय संविधान में उन देशों के अच्छी बातों को अपने संविधान में जोड़ा।
# प्रस्तावना की भाषा ऑस्ट्रेलिया, न्याय शब्द रूस से, स्वतंत्रता, समानता,और बंधुत्व शब्द फ्रांस की संविधान से लिए गए है।
# भारतीय संविधान की प्रस्तावना में एक प्रकार की बंधुत्व की चर्चा, समानता ( प्रतिष्ठा, अवसर) दो प्रकार की, न्याय( सामाजिक ,आर्थिक, और राजनीतिक) तीन प्रकार की ,स्वतंत्रता ( विचार , अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना) पांच प्रकार की चर्चा है।
# बेरुवाडी वाद 1960 में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है ,जिस कारण संसद इसमें संशोधन नहीं कर सकती है।
# गोलकनाथ वाद 1967 में sc ने प्रस्तावना को संविधान का आत्मा की संज्ञा दिया और कहा कि प्रस्तावना अपरिवर्तनीय है और शाश्वत है।
# केशवानंद भारती वाद 1973 में sc ने यह कहा कि प्रस्तावना संविधान का अंग है ,और संसद इसमें संशोधन कर सकती है,और संसद ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए,संविधान की प्रस्तावना में एक बार संशोधन , 42वां संविधान संशोधन 1976 में किया और प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े ,1. समाजवाद 2. पंथनिरपेक्ष 3. अखंडता।

#वर्तमान समय में भारत " संपूर्ण,प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक ,गणराज्य "है।
# संविधान सभा के द्वारा संविधान को 26 नवंबर 1949 को स्वीकार्य किया गया था।

# प्रस्तावना#

               "हम भारत के लोग ,भारत को एक (सम्पूर्ण,प्रभुत्व संपन्न ,समाजवादी, पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक, गणराज्य) बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को 

          सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार , अभिव्यक्ति,विश्वास ,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता , 

              प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए ,तथा उन सबमें ,

व्यक्ति की गरिमा और (राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए, 

दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ईo (मीती मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत् दो हजार छह विक्रमी )को येतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मारपित करते है।"

PREAMBLE, प्रस्तावना
PREAMBLE 


# गणराज्य:- वैसे देश या वैसे राष्ट्र जहां के राष्ट्रध्यक्ष निर्वाचित होते है।उन्हें गणराज्य कहते है। उदाहरण - भारत

# राज्य किसे कहते है -  वैसी संस्था जिसमें निम्न चार तत्व या गुण मौजूद होते है गणराज्य कहलाते है। (क्षेत्रफ़ल,जनसंख्या, सरकार, संप्रभुत्व सम्पन्नता)

लोकतंत्र:- लोकतंत्र ग्रीक शब्द डीमोस( लोग) और cractia ( शासन) से मिलकर बना है ,जिसका अर्थ होता है - लोगों का शासन।

# वैसी शासन प्रणाली जिसमें शक्ति का अंतिम स्रोत आम जनता हो लोकतंत्र कहलाता है।

अब्राहम लिंकन :- लोकतंत्र जनता का ,जनता के लिए जनता के द्वारा शासन प्रणाली है।

लोकतंत्र दो प्रकार के होते है - 1. प्रत्यक्ष 2. अप्रत्यक्ष 

प्रत्यक्ष:- वैसी शासन प्रणाली जिसमें कानून निर्माण और शासन में आम जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी हो , प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहलाता है।

अप्रत्यक्ष:- वैसी शासन प्रणाली जिसमें कानून के निर्माण में आम जनता नहीं बल्कि आम जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि भाग लेते हो, अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहलाता है।

#भारत संवैधानिक रूप से 3 जनवरी 1977 को पंथनिरपेक्ष राष्ट्र बना है।
पंथनिरपेक्षता:-- वैसे राष्ट्र कहा के सरकार का अपना कोई धर्म नहीं होता है ,अथवा वह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता हो,और राष्ट्र के सभी लोग चाहे वह किसी भी धर्म के लोग हो सभी आपस में मिलजुलकर रहते हो, पंथनिरपेक्ष राष्ट्र कहलाता है।
# समाजवाद:- समाजवाद एक विचारधारा है जिसका अर्थ समानता स्थापित करना है।
@ भारत में लोकतांत्रिक समाजवाद है।
#प्रभुत्व संपन्न:- वैसे देश या वैसे राष्ट्र जिसके नीति निर्माण में किसी दूसरे देश का बाह्य हस्तक्षेप नहीं हो , संप्रभुत्व संपन्न राष्ट्र कहलाता है।भारत 15 अगस्त 1947 के बाद संप्रभुत्व संपन्न राष्ट्र बना।
प्रस्तावना को लेकर विद्वानों के द्वारा प्रकट किया गया विचार -- 
@ N.A पालकीवाला - प्रस्तावना संविधान का परिचय पत्र है।
@ ठाकुर प्रसाद भार्गव - संविधान का सबसे सम्मानित भाग।
@ M हिदायतुल्लाह - प्रस्तावना की तुलना अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा पत्र से किया।
@ अर्नेस्ट बरकार :- प्रस्तावना को कुंजी नोट कहा।
@ सर अल्लादी कृष्ण स्वामी अय्यर:- प्रस्तावना हमारे दीर्घ कालिक सपनों का विचार है।
@ K.M मुंशी:- प्रस्तावना हमारे प्रभुत्व लोकतांत्रिक गणराज्य का भविष्य है।
@ BR आंबेडकर :- संविधान को एक पवित्र दस्तावेज की संज्ञा दिए।
प्रस्तावना में संशोधन सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर किया गया ।



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