🏑 मेजर ध्यानचंद जयंती 2025: हॉकी के जादूगर को शत-शत नमन
29 अगस्त 2025 को भारत ने महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की 120वीं जयंती मनाई। “हॉकी का जादूगर” कहलाने वाले ध्यानचंद अपनी अद्भुत गेंद नियंत्रण, शानदार पासिंग और गोल करने की अनोखी क्षमता के लिए विश्वभर में विख्यात रहे।
उन्होंने अपने करियर में 1,000 से अधिक गोल दागे और भारत को 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक दिलाए। उनकी स्मृति में यह दिन पूरे देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
🌟 मेजर ध्यानचंद कौन थे?
ध्यानचंद को “हॉकी का जादूगर” कहा जाता है।
गेंद पर उनकी पकड़ इतनी अद्भुत थी कि विदेशी खिलाड़ियों को लगता था मानो उनकी स्टिक में चुंबक लगा हो।
उनके खेल की कला ने उन्हें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का सबसे बड़ा हॉकी खिलाड़ी बना दिया।
👶 प्रारंभिक जीवन
जन्म: 29 अगस्त 1905, इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश)
पिता: ब्रिटिश भारतीय सेना में सैनिक और हॉकी खिलाड़ी थे।
बचपन में ध्यानचंद को हॉकी से अधिक कुश्ती में रुचि थी, लेकिन पिता और सेना के माहौल ने उन्हें हॉकी की ओर प्रेरित किया।
17 वर्ष की उम्र में सेना में भर्ती हुए और यहीं से हॉकी को गंभीरता से अपनाया।
🏅 ओलंपिक उपलब्धियाँ | ||
---|---|---|
🥇 1928 (एम्स्टर्डम ओलंपिक) | भारत ने पहली बार ओलंपिक हॉकी में हिस्सा लिया। | ध्यानचंद ने सर्वाधिक 14 गोल दागे और भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। |
🥇 1932 (लॉस एंजेलिस ओलंपिक) | भारत ने अमेरिका को 24–1 से हराकर रिकॉर्ड बनाया। | ध्यानचंद और उनके भाई रूप सिंह को “हॉकी ट्विन्स” कहा गया। |
🥇 1936 (बर्लिन ओलंपिक) | फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8–1 से हराया। | ध्यानचंद ने अकेले 3 गोल दागे। |
🎖️ सेना और खेल सेवा
भारतीय सेना में बेहतरीन करियर के बाद वे 1956 में मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए।
उसी वर्ष उन्हें भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्रदान किया गया।
रिटायरमेंट के बाद उन्होंने युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया और देशभर में हॉकी को बढ़ावा देने का कार्य किया।
🌐 विरासत और सम्मान
उनकी जयंती 29 अगस्त को हर वर्ष राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाई जाती है।
भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार” उनके नाम पर है।
उनके सम्मान में अनेक प्रतिमाएँ, स्टेडियम, सड़कें और डाक टिकट जारी किए गए।
बीबीसी ने उन्हें हॉकी का “मुहम्मद अली” कहा।
2012 में संसद ने भी उन्हें भारत रत्न देने की सिफारिश की थी, जिसे खेल प्रेमी आज भी लेकर उठाते रहते हैं।
✨ मेजर ध्यानचंद की खास बातें
करियर में 1,000+ गोल दागे।
खेल के दौरान अक्सर विपक्षी खिलाड़ियों को लगता था कि उनकी हॉकी स्टिक में जादू है।
कई विदेशी क्लबों और देशों ने उन्हें आकर्षक प्रस्ताव दिए, परंतु उन्होंने हमेशा भारत के लिए खेलना चुना।
जर्मनी और नीदरलैंड तक ने उन्हें नागरिकता और पदक देने की कोशिश की।
🎯 आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा
मेजर ध्यानचंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि,
अनुशासन और समर्पण से कोई भी असंभव लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
खेल केवल पदक जीतने का साधन नहीं, बल्कि देश की शान होता है।
उनकी सादगी और देशप्रेम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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