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महात्मा गांधी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बने? चाहते तो बन सकते थे!
महात्मा गांधी — एक ऐसा नाम जो केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अहिंसा और सत्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गांधीजी जैसे महान नेता प्रधानमंत्री क्यों नहीं बने? क्या उन्होंने कभी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जताई थी? आइए जानते हैं उस ऐतिहासिक निर्णय के पीछे की सच्चाई।
🧭 गांधीजी का राजनीतिक दृष्टिकोण
गांधीजी का राजनीति में उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि जनसेवा और नैतिक मूल्यों की स्थापना करना था। वे राजनीति को 'धर्म का एक अंग' मानते थे। उनके लिए राजनीति एक साधन था, न कि लक्ष्य।
🏛️ प्रधानमंत्री बनने की राह में क्या था?
स्वतंत्रता के समय कांग्रेस के भीतर गांधीजी सबसे प्रभावशाली नेता थे। लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार की पदवी या राजनीतिक सत्ता से खुद को दूर रखा। उन्होंने पंडित नेहरू को समर्थन दिया, क्योंकि वे मानते थे कि आधुनिक भारत के निर्माण के लिए नेहरू अधिक उपयुक्त हैं।
🛑 गांधीजी ने खुद क्यों मना किया?
- 👉 गांधीजी सत्ता के लोभी नहीं थे।
- 👉 वे चाहते थे कि देश युवा नेतृत्व को अपनाए।
- 👉 उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का भी निर्णय लिया था।
🎙️ एक ऐतिहासिक वक्तव्य
गांधीजी ने कहा था: “मेरा कार्य देश को स्वतंत्रता दिलाना था, अब उसका नेतृत्व युवाओं को करना चाहिए।” यही उनकी महानता को दर्शाता है।
📚 निष्कर्ष
महात्मा गांधी अगर चाहते तो प्रधानमंत्री बन सकते थे। लेकिन उन्होंने पद के बजाय नीति और सिद्धांत को चुना। उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाकर अपनी भूमिका को पूर्ण माना और सत्ता का मोह त्याग दिया।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या गांधीजी प्रधानमंत्री पद के योग्य थे?
जी हां, उनके पास देश का सबसे बड़ा जनसमर्थन था, लेकिन उन्होंने खुद सत्ता से दूरी बनाई।
क्या उन्होंने किसी को प्रधानमंत्री बनने में मदद की?
उन्होंने नेहरू और पटेल जैसे नेताओं को आगे बढ़ाया और उनका समर्थन किया।
Tags: महात्मा गांधी, प्रधानमंत्री, राजनीति, भारत का इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम
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