कोशिका की संरचना
कोशिका को मुख्य रूप से दो भागों में बाटा गया है | 01. कोशिका झिल्ली 02. जिवद्रव
@ कोशिका द्रव्य में कई सारे रचनाएं पाई जाती है |
01. सेंट्रोसम 02. अंतरद्राव जालिका 03. राइबोसोम 04. माइटोकॉन्ड्रिया
05. लावक 06. गलजीकाय 07. लाइसोसोम
# मेटाप्लास्ट : यह एक निर्जीव रचना है जिसमें न तो बढ़ने की क्षमता होती है , और न ही विभाजन करने की क्षमता होती है |
मेटाप्लास्ट के अंतर्गत रासधानी , वसा, प्रोटीन , ग्लैकोजान , पित आदि पाए जाते है |
- कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)
==> प्रत्येक कोशिका के चारो ओर बहुत ही पतली झिल्ली पाई जाती है , जो लचीली और मुलायम होती है |इस झिल्ली का मोटाई लगभग 75 A के बराबर होता है |
==> कोशिका झिल्ली एक अर्ध परगाम्या और चयनात्मक परगाम्य होती है ,क्युकी इस झिल्ली से होकर पदार्थ कोशिका के अंदर बाहर जा सकते है , लेकिन सभी नही |
==> कोशिका झिल्ली लिपिड और प्रोटीन की बनी होती है | जिसमें दो परत प्रोटीन की और एक परत वसा की होती है |
@ कोशिका झिल्ली के संबंध में तरल मोजाइक मॉडल सिंगर और निकोलसन के द्वारा दिया गया था |
- कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य =
01. कोशिका झिल्ली कोशिका को एक निश्चित आकृति तथा कोशिका के भीतरी संरचना को बाहरी अघात से बचाता है |
02. कोशिका के अंदर और बाहर जाने वाले पर नजर रखता है |
03. एक कोशिकीय जीवो में कोशिका झिल्ली द्वारा ही सिलिया फ्लेजला ,तथा कुटपाड का निर्माण करता है \
04. कोशिका द्वारा द्वारा होने वाले प्रसारण तथा विसरन की क्रिया कोशिका झिल्ली के द्वारा ही संपन्न होता है
- कोशिका भित्ति
==> पौधा तथा कवक में कोशिका भित्ति के बाहर एक और परत होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते है | कोशिका भित्ति कोशिका झिल्ली की तरह जीवित और अर्ध परगम्या नही है |
==> कोशिका भित्ति तीन परतों से मिलकर बना होता है |
==> पौधो की कोशिका भित्ति , सेल्यूलोज और HEMI सेल्यूलोज की बनी होती है |
==. कवक की कोशिका भित्ति काइटिन,और HEMI सेल्यूलोज की बनी होती है \
* कोशिका भित्ति के प्रमुख कार्य *
==> यह एक रक्षात्मक परत है , जो कोशिका को निश्चित आकार और आकृति प्रदान करता है |
==> कोशिका को सुखाने से बचाता है |
==> कोशिका झिल्ली को सुरक्षा प्रदान करता है |
- कोशिका द्रव
==> यह केंद्र और कोशिका झिल्ली के मध्य में होता है |
==> यह एक रंगहीन अर्ध प्रदर्शक अर्ध तरल झिल्ली है |
==> यह एक प्रकार का कोलाइड है |जिसमें लगभग 80 % तक जल रहता है |
==> इसमें लगभग 30 तत्व पाए जाते है |
- अंतर द्रव्य जालिका ( ENDOPLASMIC RETICULAM )
==> इसकी संरचना महीन जाल के समान होती है |
==> यह महीन संरचना कोशिका झिल्ली और केंद्र झिल्ली दोनो जगह मिलता है |
==> यह संरचना लिपोप्रोटिन की बनी होती है |
==. यह दो प्रकार की होती है . 01 चिकनी अंतर द्रव्य जालिका 02. खुरदुरी अंतर द्रव्य जालिका
==> राइबोसोम खुरदुरी अंतर द्रव्य जालिका पर उपस्थित रहता है |
==> अंतर द्रव्य जालिका को कोशिका का कंकाल तंत्र भी कहा जाता है |
==> इसकी खोज = पोर्टर क्लाउड + फूलम, और नामकरण = पोर्टर + कलमैन
==> अंतर द्रव्य जालिका को वर्तमान समय में यर्गेस्टो प्लाज्मा भी कहा जाता है |
=अंतर द्रव्य जालिका के कार्य =
# कोशिका परिवहन का
# कोशिका द्रव्य के अंदर प्रोटीन का परिवहन करता है \
# चिकनी अंतर द्रव्य जालिका वसा तथा कोलेस्ट्रॉल के संश्लेषण में भाग लेता है |
# खुरदुरी प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेता है |
# अंतर द्रव्य जालिका उन हिस्सों में ज्यादा पाया जाता है जहा प्रोटीन , वसा , और हार्मोन का संश्लेषण अधिक होता है
जैसे , यकृत , अग्नाशय , ETC .
# मानव यकृत में पाया जाने वाला चिकनी अंतर द्रव्य जालिका यकृत को विश के प्रभाव को नष्ट करता है |
- राइबोसोम
==> यह दानेदार संरचना जैसी होती है , को की RER के ऊपर अकेला या फिर गुच्छों में पाया जाता है |
==. इसमें झिल्ली नही होती है |
==> यह सबसे छोटा कोशिका अंगक है |
==. कोशिका द्रव्य में राइबोसोम गुच्छों के रूप में पाया जाता है , जिसे पोलीसोम कहा जाता है , सभी पोलीसोम , जिन्हे m RNA कहा जाता है , वे धागे की संरचना के समान होता है |
==> पॉलिसोम दो प्रकार के होते है | , 01. 80 S राइबोसोम 02. 70S राइबोसोम
==. राइबोसोम प्रोटीन और RNA का बना होता है |70S राइबोसोम के दो यूनिट है 30S और 40S
80S राइबोसोम के भी दो यूनिट है , 40S और 60S
==> राइबोसोम की खोज रॉबिंसन और ब्राउन ने पादप कोशिका में किया था |
==> जंतु कोशिका में राइबोसोम की खोज ई 0 पैलाडे के द्वारा किया गया था |
==> राइबोसोम का नामकरण रॉबर्ट के द्वारा किया गया था |
==> इसका मुख्य कार्य प्रोटीन का संश्लेषण करना है , इसी लिए इसे प्रोटीन की फैक्ट्री कहते है |
- गौलजीकाय ( GOLGI BODY )
==> कोशिका द्रव्य में यह मुड़े हुए छड़ के समान दिखाई पड़ते है | पादप कोशिका में इसे डिक्टीसोम कहा जाता है |
==> डॉल्टन और फेलिक्स ने इसे तीन भागों में बाटा है | 01. सिस्टर्नी 02. छोटे ट्यूबुलास एवम वेसिकल्स 03. बड़ी रासधनी .
==> इसकी खोज कैमिलो गालजी ने किया था |इन्होंने इसकी खोज तंत्रिका कोशिका में किए था |
==> प्रारंभ में इसका नाम आंतरिक जालिका वात उपकरण था |
==> यह अंगाक ऐसा है जो कार्बोहाइड्रेट , लिपिड , प्रोटीन , न्यूक्लिक एसिड जैसे पदार्थों को पैकेजिंग , संग्रह , और श्रावण का कार्य करता है |
==> यह कोशिका का मुख्य श्रावक अंगक है |
==> यह लाइसोसोम के निर्माण में मदद करता है |
- लाइसोसम ( LYSOSOME )
==> यह झिल्लीदार थैली जैसी संरचना की होती है |
==> लाइसोसोम पादप कोशिका की तुलना में जंतु कोशिका में अधिक मात्रा में पाया जाता है |
==> इसके थैली के अंदर एक हाइड्रो लिटिक एंज्याम पाया जाता है , जो इतनी ताकतवर होती है की कोशिका द्रव्य में उपस्थित सभी जीवित संरचनाओं को मार डालता है |
==> इसलिए इसे आत्महत्या की थैली कहते है |
==> इसकी खोज 1958 में D दुवे के द्वारा किया गया था |
==> यह कोशिका अंगक के टूटे फूटे भाग को पाचित कर कोशिका द्रव्य को साफ सुथरा रखता है |
==> यह कोशिका को विषाणु, जीवाणु तथा अन्य सूक्ष्म जीवों के संक्रमण से बचाता है |
- माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)
==> इसकी आकृति बहुत ही परिवर्तन शील होती है |
== यह जंतु कोशिका का सबसे बड़ा भाग है |
==> यह दोहरी झिल्ली की बनी होती है , इसके भीतरी भाग में अनेक उंगली जैसी संरचना होती है जिसे कृष्टि कहते है
==> इसके आंतरिक भाग में झिल्ली से घिरे भाग में मैट्रिक्स भरा रहता है और इस मैट्रिक्स में ,डीएनए , RNA, मैग्नेशियम , कैल्शियम , अयन , तथा कई एंज्याम पाए जाते है | इसमें 705 प्रकार के राइबोसोम पाए जाते है |
==> इसकी संख्या पौधो की तुलना में जंतु कोशिका में अधिक होता है |
==> इसकी खोज रिचर्ड ऑल्टमेन के द्वारा किया गया था |
==> माइटोकांड्रिया नाम बेनडा के द्वारा रखा गया था |
==> कोशिका स्वशन की प्रक्रिया यही से संपन्न होती है और इसके दौरान निर्मित एटीपी माइटोकांड्रिया में ही जमा रहता है , इसी लिए इसे कोशिका का पावर हाउस कहते है |
==> सबसे पहले किंग साबरी ने यह बताया था की कोशिका श्वसन माइटोकांड्रिया में संपन्न होता है |
- कवक ( PLASTID)
==> यह केवल पादप कोशिका में पाया जाता है , यह पादप कोशिका का सबसे बड़ा कोशिकांग है |
==> इसमें खास वार्णक पाए जाते है , जिसके आधार पर इसे तीन भागों में बाटा गया है " 01 हरित लवक 02. वर्णी लवक 03. अवर्णी लवक
==> हरित कवक = इस वर्णक में क्लोरोफिल पाया जाता है , जिसके कारण पौधो में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न होती है |
==> हरित लवक मुख्यतः हरी पत्तियों के मेसोफिल कोशिका में पाया जाता है | एक कोशिका में 1 से लेकर 80 तक हरित कवक हो सकते है |
==> हरित कवक दोहरी चिकनी झिल्ली से घिरी होती है , परगम्या होती है और प्रोटीन की बनी होती है |
==> दोहरी झिल्ली से घिरा हुआ तरलयुक्त गुहा को स्ट्रोमा के नाम से जाना जाता है |
==> स्ट्रॉमा के बीच में चपटी और व्रिटाकर थैली एक समूह में व्यवस्थित रहता है जिसे थायलाकॉइड कहते है | यह प्रोटीन और लिपिड का बना होता है | थायलाकॉइड समूह को ग्रैनम कहा जाता है , इसी थायलोकॉयड में क्लोरोफिल पाया जाता है |
==> क्लोरोफिल अणुओं के समूह को क्वांटोसोम कहते है |
वर्णी कवक
==> इसे रंगीन कवक के नाम से भी जानते है , पौधो में हरे रंग के अलावा बाकी सभी रंग इसी के कारण होते है
# गाजर का नारंगी रंग = कैरोटिन
# हल्दी का पीला रंग = जैथोफिल
# पपीता का पीला रंग = कैरिका जैथिन
# टमाटर का लाल रंग = लाइकोपिन
# सब का लाल रंग = येंथोसैनिन
==> यह कवक वसा में घुलनशील होता है , तथा फूलो और फलों में पाया जाता है |
==> तीनो प्रकार के कवक आपस में परिवर्तित हो सकते है |
अवार्णी कवक
==> यह कवक पौधो के उस भाग में पाया जाता है जहा पर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचता है | जैसे , तना आलू , प्याज
==> यह कवक विभिन्न प्रकार के पोषक पदार्थों का संग्रह करता है , यह कई प्रकार के होते है |
# Amyloplast = स्टार्च संग्रह करने वाला
# Proteinoplast = प्रोटीन संग्रह करने वाला
# Aleuroplast = प्रोटीन संग्रह करने वाला
# Elaioplast = वसा संग्रह करने वाला
इसी तरह विषयवार महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए जुड़े रहिए हमारे website, www.dailyprime247.in पर, आपको यह पर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण और quality content प्रदान किए जाते है, जो SSC , Railway, BANKING, UPSC,BPSC, और सभी पुलिस परीक्षा हेतु बहुत उपयोगी सिद्ध होगा l
Social Plugin