विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025: शीतल देवी का ऐतिहासिक स्वर्ण पदक, भारत के लिए गर्व का क्षण
विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025
30 सितंबर 2025 का दिन, भारतीय खेल इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। क्युकी इस दिन दक्षिण कोरिया के ग्वांग्जू में आयोजित विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025 (World Para Archery Championship 2025) में भारत की शीतल देवी ने महिला कंपाउंड ओपन वर्ग में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर एक नया इतिहास रच दिया है ।
18 वर्षीय इस पैरा तीरंदाज ने न केवल फाइनल मुकाबला शानदार अंदाज़ में जीता है , बल्कि एक ही दिन में तीन पदक जीत करके भारतीय खेल जगत को गौरवान्वित कर दिया ।
शीतल देवी का नाम अब उन खिलाड़ियों में जुड़ गया है, जिन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति, कठिन परिश्रम और साहस से शारीरिक चुनौतियों को अवसर में बदला है।
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शीतल देवी का यह जीत क्यों महत्वपूर्ण है ?
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भारतीय पैरा खेलों के लिए ऐतिहासिक क्षण – यह जीत केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के पैरा-एथलीट्स के लिए प्रेरणा का बड़ा स्रोत है।
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वैश्विक मंच पर पहचान – शीतल देवी की यह उपलब्धि भारत की बढ़ती क्षमता और पैरा खेलों में तैयारी को दर्शाती है।
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सामाजिक संदेश – शीतल देवी जैसी एथलीट्स यह साबित करती हैं, कि शारीरिक कमी कभी भी किसी को महान बनने से रोक नहीं सकती है ।
भारत का तीरंदाजी चैंपियन 2025 में प्रदर्शन :
फाइनल मुकाबले में शीतल देवी का सामना तुर्किये (Turkey) की दिग्गज खिलाड़ी ओज़नूर क्योर गिरदी से हुआ था । ओज़नूर तीन बार विश्व चैम्पियन और पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता रह चुकी हैं।
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मुकाबले का विवरण
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पहला एंड: दोनों खिलाड़ी 29–29 पर बराबर रहीं।
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दूसरा एंड: शीतल ने तीनों परफेक्ट 10 लगाकर 30–27 की बढ़त बनाई।
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तीसरा एंड: फिर से 29–29 की बराबरी।
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चौथा एंड: गिरदी ने 29–28 से वापसी की, लेकिन शीतल 116–114 से आगे रहीं।
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अंतिम एंड: शीतल ने एक और परफेक्ट 30 मारा और मुकाबला 146–143 से अपने नाम कर लिया और भारत का नाम ऊंचा कर दिया ।
इस जीत ने न केवल शीतल को स्वर्ण पदक दिलाया, बल्कि उन्हें विश्व पैरा तीरंदाजी की सबसे चमकती हुई सितारा भी बना दिया।
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शीतल देवी का स्वर्ण पदक :
शीतल देवी का प्रदर्शन सिर्फ व्यक्तिगत फाइनल तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने एक ही दिन में तीन पदक जीतकर यह दिखा दिया कि उनका स्तर कितना ऊँचा है।
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🥇 स्वर्ण पदक – महिला कंपाउंड ओपन (व्यक्तिगत)
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🥈 रजत पदक – महिला कंपाउंड ओपन टीम (सरिता के साथ)
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🥉 कांस्य पदक – कंपाउंड मिक्स्ड टीम ओपन (तोमन कुमार के साथ)
यह उपलब्धि बेहद दुर्लभ है ,क्योंकि विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट में एक खिलाड़ी का इतने कम समय में तीन पदक जीतना आसान नहीं होता है ।
शीतल देवी कौन हैं?
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जन्म: 2007, किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर
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शारीरिक स्थिति: फोकोमेलिया (दोनों भुजाएँ नहीं)
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खेल तकनीक: पैरों और ठोड़ी से धनुष चलाना
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विशेष पहचान: दुनिया की उन गिनी-चुनी आर्चर्स में से एक, जो बिना हाथों के पैरों से तीर चलाती हैं।
पूर्व उपलब्धियाँ
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2024 पेरिस पैरालंपिक (मिक्स्ड टीम कंपाउंड) – कांस्य पदक विजेता भी रहे है |
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2023 अर्जुन पुरस्कार (सबसे कम उम्र की प्राप्तकर्ताओं में से एक)
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एशियाई पैरा गेम्स और महाद्वीपीय प्रतियोगिताओं में अनेक पदक
शीतल देवी का जीवन संघर्ष और प्रेरणा की मिसाल है। किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी इलाके से निकलकर उन्होंने साबित किया कि जुनून और परिश्रम हर बाधा को तोड़ सकता है।
भारत का समग्र प्रदर्शन
विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा।
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तोमन कुमार – पुरुष कंपाउंड में स्वर्ण पदक जीता।
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राकेश कुमार – फाइनल में उपकरण खराबी के कारण रिटायर होना पड़ा।
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श्याम सुंदर स्वामी – चौथे स्थान पर रहे (ब्रिटेन के नाथन मैकक्वीन से कांस्य गंवाया)।
इन नतीजों से साफ है कि भारत अब पैरा कंपाउंड आर्चरी में गहराई और मजबूती दोनों स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
शीतल देवी की कहानी – साहस और संघर्ष
शीतल देवी का जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियाँ किसी को महान बनने से नहीं रोक सकतीं।
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बचपन से ही दोनों भुजाओं की कमी ने उन्हें सामाजिक चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर किया।
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पैरों से लिखना, काम करना और आगे चलकर आर्चरी अपनाना उनके साहस का परिचायक है।
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उनका संघर्ष आज लाखों दिव्यांग बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा है।
इस जीत से मिलने वाले प्रभाव
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भारतीय पैरा खेलों में बढ़ता आत्मविश्वास – इस जीत से भारत के अन्य पैरा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी।
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नीति और समर्थन – सरकार और खेल संस्थाएँ अब पैरा खेलों पर और निवेश कर सकती हैं।
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महिला सशक्तिकरण – शीतल देवी जैसी बेटियाँ यह संदेश देती हैं कि महिलाएँ हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती हैं।
निष्कर्ष
विश्व पैरा आर्चरी चैंपियनशिप 2025 में शीतल देवी की यह जीत सिर्फ एक स्वर्ण पदक भर नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि असंभव को संभव बनाया जा सकता है।
उनका संघर्ष, तकनीक और समर्पण उन्हें न केवल भारत की बल्कि दुनिया की महानतम पैरा आर्चर्स में शामिल करता है।
भारत अब पैरा आर्चरी में एक नई ताक़त के रूप में उभर रहा है और शीतल देवी इस सफर की सबसे चमकदार पहचान बन चुकी हैं।
Other Sources
- World Archery Official Website
- 👉 https://www.worldarchery.sport
- (टूर्नामेंट और आधिकारिक आर्चरी से जुड़ी जानकारी के लिए)
- International Paralympic Committee (IPC)
- 👉 https://www.paralympic.org
- (पैरा खेलों और खिलाड़ियों की प्रोफाइल्स के लिए)
- Sports Authority of India (SAI)
- 👉 https://sportsauthorityofindia.nic.in
- (भारत सरकार की ओर से पैरा एथलीट्स को मिलने वाले समर्थन के बारे में)
- Archery Association of India (AAI)
- 👉 https://www.indianarchery.info
- (भारतीय आर्चरी और खिलाड़ियों की जानकारी के लिए)
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. शीतल देवी कौन हैं?
शीतल देवी जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ से आने वाली भारतीय पैरा आर्चर हैं। वह बिना भुजाओं के पैरों और ठोड़ी से तीर चलाती हैं और 2025 विश्व पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।
2. विश्व पैरा आर्चरी चैंपियनशिप 2025 कहाँ आयोजित हुई?
यह चैंपियनशिप दक्षिण कोरिया के ग्वांग्जू शहर में आयोजित हुई।
3. शीतल देवी ने किसे हराकर स्वर्ण पदक जीता?
फाइनल मुकाबले में शीतल देवी ने तुर्किये की तीन बार की विश्व चैम्पियन और पैरालंपिक विजेता ओज़नूर क्योर गिरदी को 146–143 से हराया।
4. शीतल देवी ने कुल कितने पदक जीते?
उन्होंने एक ही दिन में तीन पदक जीते —
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स्वर्ण (महिला कंपाउंड ओपन – व्यक्तिगत)
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रजत (महिला कंपाउंड ओपन टीम)
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कांस्य (मिक्स्ड टीम कंपाउंड)
5. शीतल देवी की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
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2024 पेरिस पैरालंपिक – कांस्य पदक
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2023 अर्जुन पुरस्कार (सबसे कम उम्र की प्राप्तकर्ताओं में से एक)
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एशियाई पैरा गेम्स और महाद्वीपीय स्तर पर कई पदक
6. भारत का समग्र प्रदर्शन कैसा रहा?
तोमन कुमार ने पुरुष कंपाउंड में स्वर्ण जीता, राकेश कुमार उपकरण खराबी के कारण बाहर हुए और श्याम सुंदर स्वामी चौथे स्थान पर रहे।
7. शीतल देवी का संघर्ष क्यों प्रेरणादायक है?
फोकोमेलिया (दोनों भुजाओं का न होना) जैसी चुनौती के बावजूद उन्होंने पैरों से धनुष चलाना सीखा और अब विश्व चैंपियन बनीं। यह करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है।


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