s पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन: भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक युग का हुआ अंत । -->
Type Here to Get Search Results !
CURRENT AFFAIRS

पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन: भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक युग का हुआ अंत ।

Daily Prime 24×7

पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन: भारतीय शास्त्रीय संगीत का युगांत

पंडित छन्नूलाल मिश्र तानपुरे के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत करते हुए।


परिचय

भारतीय शास्त्रीय संगीत के जगत से एक गहरी और भावुक खबर सामने आई है। बनारस घराने के महान गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का 2 अक्टूबर 2025 को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह दिन दशहरे का था, जो प्रतीकात्मक रूप से अच्छाई की विजय को दर्शाता है, लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए यह दिन एक अपूरणीय क्षति का संकेत बन गया। पंडित मिश्र का योगदान न केवल शास्त्रीय संगीत तक सीमित था, बल्कि उन्होंने अर्ध-शास्त्रीय, लोक और भक्ति संगीत को भी नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं।

Also read :मणिपुर NCRB रिपोर्ट 2023: पूर्वोत्तर में मणिपुर में सबसे ज्यादा हिंसा हुए दर्ज .

एशिया क्रिकेट कप 2025 विवरण

इस लेख में हम पंडित छन्नूलाल मिश्र के जीवन, संगीत यात्रा, योगदान और उनकी विरासत पर विस्तृत चर्चा करेंगे। यह सामग्री विशेष रूप से UPSC, SSC, Banking, BPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों के लिए उपयोगी है, क्योंकि इसमें परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य और विश्लेषण शामिल हैं।

पंडित छन्नूलाल मिश्र: जीवन परिचय

तथ्य विवरण

जन्म 1936, हरिहरपुर गाँव, आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश)

गुरु पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र, उस्ताद अब्दुल ग़नी ख़ान

घराना बनारस घराना

प्रमुख विधाएँ ख़याल, ठुमरी, कजरी, भजन, दादरा, चैती

सम्मान पद्म भूषण

निधन 2 अक्टूबर 2025, मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश), आयु: 89 वर्ष

संगीत शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र से प्राप्त की।

आगे चलकर किराना घराने की ख़याल परंपरा में उस्ताद अब्दुल ग़नी ख़ान से तालीम ली।

ठाकुर जयदेव सिंह से संगीत शास्त्र का गहन अध्ययन किया।

विवाह के बाद उनके ससुर, तबला वादक पंडित अनोखे लाल से भी संगीत की गहराइयों को समझा।

संगीत यात्रा और योगदान

ख़याल और ठुमरी की परंपरा

पंडित मिश्र मुख्य रूप से ख़याल गायकी में निपुण थे, लेकिन उनकी पहचान ठुमरी और भजन से भी जुड़ी रही।

अर्ध-शास्त्रीय विधाओं में महारत

वे निम्नलिखित विधाओं के भी पारंगत थे:

ठुमरी

दादरा

चैती

कजरी

सोहर

भजन

प्रमुख प्रस्तुतियाँ

“सावन झर लागेला धीरे धीरे”

“कैसे सजन घर जाइबे”

“बरसन लागी बदरिया” (गिरिजा देवी के साथ)

सिनेमा में योगदान

फिल्म आरक्षण (2011) में “सांस अलबेली” और “कौन सी डोर” जैसे गीतों के माध्यम से उन्होंने सिनेमा जगत में भी अपनी छाप छोड़ी।

सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

पंडित मिश्र ने अपने गायन में रामचरितमानस और भक्तिपरक चौपाइयों को शामिल कर शास्त्रीयता और भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।

उन्होंने अक्सर युवाओं में गुरु-शिष्य परंपरा और शास्त्रीय संगीत के प्रति घटती रुचि पर चिंता व्यक्त की।

उनके अनुसार, “संगीत सीखने में धैर्य और गंभीरता सबसे आवश्यक है।”

सम्मान और पहचान

उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने उन्हें “काशी की लोक आवाज़” कहा।

दुर्गा जसराज और संतूर वादक अभय सोपोरी ने उन्हें “भारतीय शास्त्रीय संगीत का स्तंभ” बताया।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

1. पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन 2 अक्टूबर 2025 को हुआ।

2. वे बनारस घराने के प्रमुख गायक थे।

3. जन्म: 1936, हरिहरपुर (आज़मगढ़, यूपी)।

4. प्रमुख विधाएँ: ख़याल, ठुमरी, कजरी, भजन।

5. उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

पंडित छन्नूलाल मिश्र का प्रभाव

भारतीय संगीत परंपरा को आधुनिक समय तक पहुँचाने में उनकी भूमिका अद्वितीय रही।

उन्होंने लोक और शास्त्रीय संगीत को जोड़कर आम जनता तक पहुँचाया।

उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक युग का अंत हो गया।

---

1. भारत सरकार - पद्म पुरस्कार आधिकारिक पोर्टल

👉 https://padmaawards.gov.in

2. प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) – संस्कृति मंत्रालय

👉 https://pib.gov.in

3. UNESCO – Intangible Cultural Heritage (अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर)

👉 https://ich.unesco.org

अतिरिक्त तथ्य

छन्नूलाल मिश्र का जन्मस्थल हरिहरपुर गाँव प्रसिद्ध है क्योंकि यह गाँव कई संगीतज्ञों की जन्मभूमि रहा है।

उनकी संगीत शैली में भावपूर्ण आलाप, लयकारी और स्पष्ट उच्चारण की विशेष पहचान थी।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक संगीत महोत्सवों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

---

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. पंडित छन्नूलाल मिश्र किस घराने से जुड़े थे?

Ans: वे बनारस घराने से जुड़े थे।

Q2. पंडित छन्नूलाल मिश्र को कौन सा प्रमुख सम्मान मिला था?

Ans: उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

Q3. पंडित मिश्र की प्रमुख गायन शैलियाँ कौन-कौन सी थीं?

Ans: ख़याल, ठुमरी, कजरी, दादरा और भजन।

Q4. पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन कब और कहाँ हुआ?

Ans: 2 अक्टूबर 2025 को मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश में।


निष्कर्ष

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जीवन संगीत और भक्ति की अद्वितीय यात्रा रहा। उनका निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वे सिर्फ़ एक गायक नहीं बल्कि परंपरा और संस्कृति के संरक्षक थे। प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से उनका जीवन परिचय, योगदान और निधन एक महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स टॉपिक है।