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भारत में यूरोपियों का आगमन

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🧾 वास्कोडिगामा


भारत में यूरोपीय कंपनी का आगमन वर्ष 1498 में वास्कोडिगामा के आगमन से ही माना जाता है

* वास्कोडिगामा प्रथम पुर्तगाली व्यापारी था जिसने 17 मई 1498 को "केप ऑफ गुड होप" के रास्ते भारत में केरल के कालीकट नमक स्थान पर पहुंचा |

* यहां पहुंचने पर कालीकट के राजा जमोरिन ने सर्वप्रथम उसका स्वागत किया |

* वास्कोडिगामा को भारत आने का रास्ता अब्दुल मजीद नामक गुजराती व्यापारी ने दिया था |

* वास्कोडिगामा एक पुर्तगाली नाविक था |

* भारत पहुंचने के बाद वास्कोडिगामा ने वर्ष 1502 ई में सर्वप्रथम अपना एक व्यापारिक केंद्र खोला | ( कोचीन और किन्नूर)

* भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली व्यापारी जिसका नाम पेड्रो ऑलवारेज कैब्रल था जो की वर्ष 1500 ईस्वी में भारत पहुंचा था |


फ्रांसिस्को दि अलमेड़ा ( 1505 - 1509)

  1. भारत में शांत जल की नीति ( Blue Water policy ) को लागू करने वाला प्रथम पुर्तगाली फ्रांसिस्को दि अलमेड़ा था जिसे कार्टेज प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है |

क्या था कार्टेज प्रणाली ? 

  • कार्टेज प्रणाली के तहत समुद्र तट पर पुर्तगाली बस्तियां बसाई गई और जो भी व्यापारी उस रास्ते का उपयोग करता था उससे कर लिया जाता था और यह बताया जाता था की आप हमे कर देंगे तो हम इसके बदले में आपकी सुरक्षा उपलब्ध कराएंगे , और जो लोग कर नही देते थे उनके जहाज को लूट लिया जाता था ,इस प्रकार दूसरे व्यापारियों में भय का माहौल बना दिया गया |

  • नीनो डी कुन्हा ( 1529 - 38)

  • * नीनो डी कुन्हा ने अपनी राजधानी को गोवा से कोचीन स्थानांतरित किया |

  • पुर्तगालियों की व्यापारिक और राजनीतिक स्थिति 

  •  * पुर्तगालियों ने पूरे हिंद महासागर पर कब्जा आकार लिया जिसके बाद वे येस्टाडो द इंडिया के नाम से जाना जाने लगे |

    * पुर्तगालियों ने , भारत के कई स्थानों पर अपना फैक्ट्री स्थापित किया , सतगांव ,चटगांव, बुंदेलखंड ,और हुगली इत्यादि |

अल्फांसो दि अल्बुकर्क ( 1509- 1515)

@ अल्बुकर्क को भारत में पुर्तगाली स्थापना का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |
@ इसने वर्ष 1510 में बीजापुर से गोवा को जीत लिया और वही से अपनी शासन की शुरुआत कर डाला |
@ अल्बुकर्क ने अपने साम्राज्य को विस्तार करने के लिए हिंदू महिलाओं से विवाह करने की नीति को अपनाया |
@ अल्बुकर्क वर्ष 1515 आते आते मलक्का और हारमुज जो की ईरान में है उस पर अधिकार कर लिया | और साथ में सकोत्तरा द्वीप ,सुमात्रा द्वीप, कोलंबो द्वीप आदि पर भी अधिकार कर लिया |
@ इसने सती प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाया था |
@ 1515 तक पुर्तगाली शक्ति के पास सबसे मजबूत नौ सेना शक्ति बन चुकी थी |
@ 1515 में ही अल्बुकर्क की मृत्यु हो जाती है |
# अल्बुकर्क ने कोचीन को ही अपना राजधानी बनाया था |

भारत में पुर्तगालियों के पतन के लिए कौन जिम्मेदार था ?

* पुर्तगालियों के पतन में सबसे अधिक भूमिका मिस्र , फारस , तथा उत्तरी भारत में शक्तिशाली राज्यवंशों का था

* मिशनरियों के गतिविधि से राजनीतिक भय तथा उत्पीड़न से पुर्तगालियों के प्रति घृणा उत्पन्न हो गया था |

* इनसे भी ताकतवर व्यापारी अंग्रेज और डच का आगमन होना |

* पुर्तगालियों द्वारा अवैध व्यापार और समुद्री लुटेरे से आम लोग परेशान हो गए थे |

* ब्राजील के खोज हो जाने के कारण पश्चिम की ओर पुर्तगालियों का पलायन कर जाना |

पुर्तगालियों के आगमन से भारत पर पड़ने वाला प्रभाव 

  •  * पुर्तगालियों के द्वारा ही नौ सैनिक शक्ति को बल और उत्साह मिला इससे पहले लोग नौ सैनिक शक्ति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया करते थे |
  • * सर्वप्रथम जहाज पर तोप लगाने का कार्य पुर्तगालियों के द्वारा ही किया गाय |
  • * पुर्तगाली समुद्री तकनीक में माहिर थे ,उन्होंने बहुत बड़ी संख्या में जहाज बेड़े का निर्माण कर रखा था |
  • * पुर्तगालियों ने " गोथिक स्थापत्य कला शैली " की शुरुआत किया |जो की एक यूरोप की युद्ध कला थी |
  • * गोवा में सोना चांदी आदि के काम करने वाले कला का विकास किया
  • * इनने ही सर्वप्रथम भारत में तंबाकू , अफीम, काजू , अनानास , आलू , लाल मिर्च ,और प्रिंटिंग प्रेस को भारत में लाया |

  • डच

  • मार्च 1602 में भारत में यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से भारत में उन्होंने एक कंपनी की स्थापना किया |

  • * 1605 में आंध्रअप्रदेश के मसूलीपट्टनम में अपना पहला कारखाना की स्थापना किया |

  • * डचों का भारत में प्रमुख केंद्र पुलीकट था | डचों द्वारा सोने के सिक्के यही पर बनाए जाते थे |

  • * डचों का व्यापार यमुना घाटी ,मध्यभारत ,बंगाल ,गुजरात ,तथा कोरोमंडल क्षेत्र से वस्त्र तथा रेशम ,और बिहार से शोरा और गंगा नदी घाटी से अफीम और चावल का व्यापार करते थे |

  • * वे भारतीय वस्त्र का भी निर्यात करते थे

  • * डच भारत में केवल व्यापार करने के इरादे से आए थे ,न की साम्राज्य स्थापित करने के लिए |

  • * डचों का भारत से पलायन बेदरा युद्ध 1759 के बाद से हो गया ,इस युद्ध में अंग्रेजो ने डचों को बुरी तरह से पराजित कर दिया और अंग्रेज खुद शासन करने लगे 

अंग्रेजो के शासन का उदय 

31 दिसंबर 1600 ईस्वी में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम के द्वारा एक अधिकार पत्र जारी किया गया जिसमे यह आदेश दिया गया की अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी को अगले 15 वर्षो तक के लिए व्यापार का अधिकार दिया जाता है |

अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना वर्ष 1600 ईस्वी में किया गया |

वर्ष 1609 ईस्वी में मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में एक अंग्रेज व्यापारी आया जिसका नाम कैप्टन हॉकिन्स था |

कैप्टन हॉकिन्स ने जहाजन के दरबार में गया और सूरत में एक व्यापारिक कोठी खोलने की इजाजत मांगा लेकिन पुर्तगालियों के दबाव के कारण उसे व्यापारिक कोठी खोले की अनुमति नहीं मिली |

वर्ष 1615 में सर थॉमस रॉ भारत में जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर आया और भारत में व्यापारिक कोठी खोलने की अनुमति मुगल बादशाह जहांगीर से प्राप्त कर लिया और इस प्रकार अपना पहला कोठी अंग्रेजो ने सूरत में खोला |

1661 ईस्वी में बंबई चार्ल्स द्वितीय को पुर्तगालियों से दहेज के रूप में मिला .

1700 ईस्वी में मुंबई ,मद्रास,और कोलकाता भारत में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया के उपनिवेशिक तीन प्रेसीडेंसी शहर के रूप में विकसित हुआ |जिसकी राजधानी कोलकाता को बनाया गया |

फ्रांसीसी

 फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना वर्ष 1664 ईस्वी में किया गया | फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रथम फैक्ट्री सूरत में खोला गया था | 1673 ईस्वी में फ्रैंको मार्टिन ने पांडिचेरी को शेर खान लोधी से छीन लिया | सूरत में पहली बार फैक्ट्री की स्थापना फ्रेंकोइस कैरो के द्वारा किया गया था |

प्रथम कर्नाटक युद्ध 

काल : 1740- 48

समाप्ति : एक्सला शेपल 1748 में

दूसरा कर्नाटक युद्ध 

काल : 1751 से 1755 ईस्वी

समाप्ति : पांडिचेरी की संधि 1755 में

तीसरा कर्नाटक युद्ध 

काल : 1756 से 1763

समाप्ति : पेरिस की संधि 1763 में