🛰️ चंद्रयान-5 (LUPEX) मिशन : भारत-जापान का संयुक्त अभियान
🔹भूमिका
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने दोनो मिलकर हाल ही में लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) यानी चंद्रयान-5 मिशन के लिए कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किए। जो की दोनो देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन माना जा रहा है |
➡️ यह अभियान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा , जहाँ स्थायी छायादार क्षेत्रों यानी जहा पर सूर्य की रौशनी नही पहुंच पाता है ,हमेशा अधेरा रहता है (Permanently Shadowed Regions – PSR) में पानी और अन्य संसाधनों की खोज की संभावना है।
🔎 क्या है मिशन की प्रमुख विशेषताएँ ?
भारत और जापान की संयुक्त प्रयास: ISRO और JAXA द्वारा संचालित।
लक्ष्य क्षेत्र: चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा कर वहा पानी और अन्य संसाधनों का आकलन करना ।
वैज्ञानिक महत्व: चंद्रमा के सतह पर जल-बर्फ और वाष्पशील तत्वों का अध्ययन करना ।
भविष्य की उपयोगिता: मानव मिशनों और चंद्रमा के आधार (Lunar Base) की संभावनाओं के लिए आधार तैयार करना।
🎯 इसका मुख्य उद्देश्य क्या है ?
1. वाष्पशील पदार्थों की खोज करना |
स्थायी छायादार क्षेत्रों में पानी और अन्य तत्वों की उपस्थिति का अध्ययन करना ।
2. नई तकनीकों का परीक्षण करना |
सुरक्षित और सटीक लैंडिंग की तकनीक को विकसित करना ।
3. नमूनों का विश्लेषण करना |
चंद्रमा की मिट्टी (Regolith) में मौजूद पानी और खनिजों की गुणवत्ता व संरचना का अध्ययन करना ।भविष्य में टिकाऊ चंद्र अभियानों की योजना के लिए डेटा उपलब्ध कराना।
🚀 मिशन के घटक :
लैंडर (ISRO):
पेलोड क्षमता – लगभग 350 किलोग्राम।
उद्देश्य – सुरक्षित और सटीक लैंडिंग।
रोवर (JAXA):
भार – करीब 350 किलोग्राम।
इसमें दोनों देशों के वैज्ञानिक उपकरण होंगे।
लॉन्च व्हीकल (JAXA):
प्रक्षेपण के लिए H3-24L रॉकेट का उपयोग किया जाएगा ।
⚙️ पेलोड (वैज्ञानिक उपकरण)
1. REIWA: नमूनों में पानी और रासायनिक तत्वों का अध्ययन करना ।
2. LTGA: ऊष्मा-गुरुत्वमितीय जाँच, जिससे पानी की सटीक मात्रा का पता चले।
3. TRITON: वाष्पशील घटकों की पहचान और विश्लेषण।
🤝 साझेदारी का महत्व |
यह अभियान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की गहन जानकारी प्रदान करेगा और अंतरिक्ष विज्ञान की सीमाओं को और आगे बढ़ाएगा।
🚀 चंद्रयान कार्यक्रम : एक संक्षिप्त परिचय
🔹 चंद्रयान-1 (2008)
भारत का पहला चंद्र मिशन।
उपलब्धि: चंद्र सतह पर जल के अणु और हाइड्रॉक्सिल की खोज करना ।
इस खोज ने वैश्विक स्तर पर भारत को चंद्र अनुसंधान में अग्रणी बना दिया।
🔹 चंद्रयान-2 (2019)
उद्देश्य: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर का संचालन करना ।
परिणाम: ऑर्बिटर सफल रहा और आज भी काम कर रहा है।हालांकि, लैंडर-रोवर लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गए है ।
🔹 चंद्रयान-3 (2023)
उद्देश्य: चंद्रमा पर सुरक्षित और सटीक सॉफ्ट लैंडिंग तथा रोवर का संचालन करना ।
उपलब्धि: भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है ।
विन्यास: लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान।
🔹 चंद्रयान-4 (नियोजित)
प्रमुख उद्देश्य: |
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सुरक्षित लैंडिंग |
नमूना एकत्र करना |
चंद्र सतह से प्रस्थान (Ascent) |
चंद्र कक्षा में डॉकिंग |
नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना |
चंद्रयान-5 (LUPEX) न केवल भारत और जापान की साझेदारी की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह मिशन वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व रखता है।➡️ इसके सफल होने से चंद्रमा के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी और यह भविष्य में मानव-केंद्रित अंतरिक्ष अन्वेषण तथा दीर्घकालिक चंद्र अभियानों के लिए मजबूत नींव तैयार करेगा।
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