7 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण (Blood Moon)
परिचय :-
7 सितंबर 2025 की पूर्णिमा की रात एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटित होगी—पूर्ण चंद्रग्रहण। यह वर्ष 2025 का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसकी अवधि लगभग 82 मिनट की होगी। इस दौरान चंद्रमा लालिमा लिए चमकता हुआ दिखाई देगा, जिसे सामान्य भाषा में ब्लड मून कहा जाता है। यही नहीं, इस समय चंद्रमा के पास शनि (Saturn) अपने छल्लों के साथ और दूर स्थित वरुण (Neptune) भी नीला-हरा प्रकाश बिखेरते दिखाई देंगे।
ब्लड मून क्या होता है ?
आमतौर पर उम्मीद की जाती है कि चंद्रमा काला दिखेगा, लेकिन ऐसा नहीं होता।
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सूर्य की किरणें जब पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती हैं, तो नीली और हरी तरंगें बिखर जाती हैं।
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लंबी तरंगों वाली लाल रोशनी वायुमंडल से मुड़कर चंद्रमा तक पहुँचती है।
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यही कारण है कि चंद्रमा पर हल्की से गहरी लालिमा दिखाई देती है।
इस प्रक्रिया को रेले स्कैटरिंग (Rayleigh Scattering) कहा जाता है—यही कारण है कि सूर्योदय और सूर्यास्त भी लाल रंग में दिखाई देते हैं।
ग्रहण का समय-सारणी (UTC के अनुसार)
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उपच्छाया की शुरुआत: 15:28
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आंशिक ग्रहण आरंभ: 16:27
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पूर्ण चरण शुरू: 17:30
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चरम स्थिति (Maximum Eclipse): 18:11
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पूर्ण चरण समाप्त: 18:52
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आंशिक ग्रहण समाप्त: 19:56
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उपच्छाया समाप्त: 20:55
👉 कुल 82 मिनट तक पूर्ण चंद्रग्रहण चलेगा, जो सामान्य 60–70 मिनट की तुलना में अधिक लंबा है।
भारत में चंद्रग्रहण का समय (IST के अनुसार)
(UTC समय +5 घंटे 30 मिनट जोड़ना होगा)
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उपच्छाया (Penumbral) ग्रहण आरंभ: 20:58 रात
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आंशिक ग्रहण आरंभ: 21:57 रात
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पूर्ण ग्रहण आरंभ: 23:00 रात
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ग्रहण का अधिकतम चरण: 23:41 रात
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पूर्ण ग्रहण समाप्त: 00:22 (8 सितंबर की आधी रात के बाद)
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आंशिक ग्रहण समाप्त: 01:26 सुबह (8 सितंबर)
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उपच्छाया ग्रहण समाप्त: 02:25 सुबह (8 सितंबर)
👉 यानी भारत में यह ग्रहण 7 सितंबर की रात से शुरू होकर 8 सितंबर की सुबह तक चलेगा।
👉 सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा (पूर्ण चरण) रात 11 बजे से 12:22 बजे तक रहेगा, लगभग 82 मिनट तक।
कहाँ-कहाँ दिखाई देगा?
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भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और यूरोप – यहाँ पूरा ग्रहण साफ-साफ देखा जा सकेगा।
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उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका – यहाँ यह घटना दिखाई नहीं देगी क्योंकि उस समय दिन होगा।
भारत में 7–8 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण समय-सारणी
चरण (Phase) | समय (IST – भारतीय समय) |
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उपच्छाया आरंभ (Penumbral) | 20:58 (7 सितंबर रात) |
आंशिक ग्रहण आरंभ | 21:57 (7 सितंबर रात) |
पूर्ण ग्रहण आरंभ | 23:00 (7 सितंबर रात) |
अधिकतम चरण (Maximum Eclipse) | 23:41 (7 सितंबर रात) |
पूर्ण ग्रहण समाप्त | 00:22 (8 सितंबर सुबह) |
आंशिक ग्रहण समाप्त | 01:26 (8 सितंबर सुबह) |
उपच्छाया समाप्त | 02:25 (8 सितंबर सुबह) |
देखने के तरीके
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यह घटना नग्न आंखों से सुरक्षित है।
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बेहतर अनुभव के लिए दूरबीन या टेलीस्कोप का उपयोग किया जा सकता है।
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शहर की रोशनी से दूर, साफ आसमान वाले क्षेत्रों में दृश्य सबसे आकर्षक होगा।
- जिन क्षेत्रों में यह दिखाई नहीं देगा, वहाँ लोग NASA, TimeandDate.com और Virtual Telescope Project के लाइव प्रसारण के माध्यम से देख सकते हैं।
लाइव देखने के विकल्प (भारत सहित सभी जगहों के लिए)
🔗 TimeandDate.com Live Stream
🔗 Virtual Telescope Project
🔗 NASA Official Eclipse Stream
इस घटना का महत्व
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वैज्ञानिक दृष्टि से:
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चंद्रमा की लालिमा से वैज्ञानिक पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद धूल, प्रदूषण और बादलों की स्थिति का अध्ययन कर सकते हैं।
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सांस्कृतिक दृष्टि से:
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चंद्रग्रहण प्राचीन काल से विभिन्न मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ा रहा है।
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यह पूर्णिमा का चंद्रग्रहण Harvest Moon के साथ पड़ रहा है, जिसे पारंपरिक रूप से फसल से जोड़ा जाता है।
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खगोलीय दृष्टि से:
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2025 का यह सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।
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अमेरिका में रहने वाले लोगों को इसे देखने का मौका मार्च 2026 में मिलेगा।
प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु संभावित प्रश्न
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ब्लड मून क्या है और यह क्यों दिखाई देता है?
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रेले स्कैटरिंग किस वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है?
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7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण किन महाद्वीपों से देखा जा सकेगा?
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इस ग्रहण का वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व लिखिए।
प्रश्न 1: ब्लड मून क्या है और यह क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:
ब्लड मून पूर्ण चंद्रग्रहण के समय दिखाई देने वाली खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर अपनी छाया चंद्रमा पर डालती है, तब सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाता। पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरने वाली लंबी तरंगों वाली लाल रोशनी चंद्रमा तक पहुँचती है, जबकि नीली और हरी तरंगें बिखर जाती हैं। इसी कारण चंद्रमा पर लालिमा नज़र आती है और उसे "ब्लड मून" कहा जाता है।प्रश्न 2: रेले स्कैटरिंग किस वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है?
उत्तर:
रेले स्कैटरिंग (Rayleigh Scattering) वह प्रक्रिया है जिसमें सूर्य के प्रकाश की छोटी तरंग दैर्ध्य वाली किरणें (नीली और बैंगनी) पृथ्वी के वायुमंडल के अणुओं और कणों से टकराकर अधिक बिखर जाती हैं, जबकि लंबी तरंग दैर्ध्य वाली किरणें (लाल और नारंगी) आसानी से गुजर जाती हैं।-
यही कारण है कि दिन का आकाश नीला दिखाई देता है।
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सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा दिखाई देती है।
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इसी सिद्धांत के कारण पूर्ण चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा लाल दिखता है।
प्रश्न 3: 7 सितंबर 2025 का चंद्रग्रहण किन महाद्वीपों से देखा जा सकेगा?
उत्तर:
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यह ग्रहण भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और यूरोप से साफ दिखाई देगा।
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एशिया और ऑस्ट्रेलिया में इसे शुरू से अंत तक देखा जा सकेगा।
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पूर्वी अफ्रीका और यूरोप में विशेषकर पूर्ण चरण (Totality) का शानदार दृश्य मिलेगा।
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उत्तर और दक्षिण अमेरिका में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा क्योंकि वहाँ उस समय दिन होगा।
प्रश्न 4: इस ग्रहण का वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व लिखिए।
उत्तर:
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वैज्ञानिक महत्व:
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चंद्रमा की लालिमा से पृथ्वी के वायुमंडल की स्थिति (धूल, प्रदूषण, बादल आदि) का अध्ययन किया जा सकता है।
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यह घटना खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों को पृथ्वी के वातावरण को समझने का अवसर प्रदान करती है।
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खगोलीय महत्व:
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यह वर्ष 2025 का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण है, जिसकी कुल अवधि 82 मिनट होगी।
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इस दौरान चंद्रमा के पास शनि और वरुण ग्रह भी दिखाई देंगे, जो इसे और अधिक विशेष बनाता है।
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अमेरिका के लोग इसे नहीं देख पाएंगे और उन्हें अगला मौका मार्च 2026 में मिलेगा।
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