आयुष्मान भारत के 7 वर्ष हुए पूरे
योजना की मूलभूत रूपरेखा और उद्देश्य
23 सितंबर 2018 को रांची से शुरू हुई आयुष्मान भारत — प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY / PM-JAY) ने सात वर्षों में भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में गहरा प्रभाव डाला है। 2025 के अंत तक योजना द्वारा करोड़ों लाभार्थियों को कैशलेस इलाज, डिजिटल हेल्थ सर्विस और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से सेवा दी जा चुकी है — और केंद्र/राज्य स्तर के आधिकारिक आंकड़े इस विस्तार को पुष्ट करते हैं। स्रोत : PIB INDIA
क्या है PM-JAY?
PM-JAY एक राष्ट्रीय, सरकारी वित्तपोषित हेल्थ अस्यूरेन्स कार्यक्रम है जो चयनित पात्र लाभार्थी परिवारों को प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक कैशलेस अस्पतालिनेशन कवरेज देता है। इसका लक्ष्य गंभीर द्वितीयक व तृतीयक इलाज में वित्तीय जोखिम को दूर कर गरीबी में धकेलने वाले स्वास्थ्य खर्चों को कम करना है।
मुख्य उद्देश्य
- गरीब और संवेदनशील वर्गों को वित्तीय सुरक्षा देना।
- अस्पताल में भर्ती (secondary & tertiary care) के लिए कैशलेस सुविधा।
- निजी व सरकारी दोनों अस्पतालों के माध्यम से उपचार विकल्प सुनिश्चित करना।
- प्राथमिक स्वास्थ्य को मजबूत करने हेतु हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (HWC) का नेटवर्क बनाना।
सात साल के आँकड़े, विस्तार और परीक्षित प्रभाव (Key Metrics)
नीचे दिए मुख्य आँकड़े सरकारी/प्रामाणिक स्रोतों से संकलित हैं — ये पाठ्यक्रम और प्रतियोगी परीक्षाओं (UPSC/SSC/Banking/Railways आदि) के लिए उपयोगी तथ्य हैं। (प्रमुख स्रोत: PIB, MoHFW, NHA, आधिकारिक प्रेस नोट)।
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हेल्थ कवरेज भारत
कवर किए गए लाभार्थी (लोग) ~55 करोड़ लोग (~12.3–15.1 करोड़ परिवार — स्रोतों में मामूली भिन्नता)।
जारी आयुष्मान/AB कार्ड 41 करोड़+ (कुछ रिपोर्टों में 42 करोड़/35 करोड़ के स्थानीय अपडेट)।
अस्पताल भर्ती/अथॉराइज़्ड केस 9.8–10.3 करोड़ भर्ती (सरकारी अपडेट्स में रेंज दी गई)। कुल दावा राशि ≈ ₹1.40–1.48 लाख करोड़।
पैनल अस्पताल ~31,000+ (राज्यवार निजी+सरकारी मिलकर)।
HWC / आयुष्मान आरोग्य मंदिर 1.8 लाख+ (HWC विस्तार के तहत) — प्राथमिक स्वास्थ्य कवरेज।
प्रमुख नई पहलें (2024–2025)
1. सिनियर सिटिजन एक्सपैंशन (70+ कवरेज)
प्रधानमंत्री-अध्यक्ष निर्णय के तहत अक्टूबर 2024 से 70 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों को AB-PMJAY में कवरेज दिया गया — यह आयुष्मान का बड़ा विस्तार था (राज्य/केन्द्र के तालमेल पर लागू)।
2. गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स का समावेश
2024–25 में असंगठित क्षेत्र/गिग वर्कर्स को योजनाओं से जोड़ने की नीति तेज हुई — ई-श्रम पोर्टल से लिंक कर कई वर्कर्स का लाभ सुनिश्चित किया गया।
3. डिजिटल हेल्थ और NDHM का इंटीग्रेशन
हेल्थ ID, इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड, टेलीमेडिसिन के विस्तृत उपयोग से लाभार्थियों को बेहतर ट्रैकिंग और पारदर्शिता मिली। NDHM के आंकड़े और AB-PMJAY का इंटीग्रेशन दोनों ही प्राथमिकता पर रहे हैं।
4. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (HWC)
प्राइमरी केयर नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 1.5–1.8 लाख HWC संचालित/निर्मित — इससे ग्राम्य प्राथमिक सेवाओं में काफी सुधार आया।
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लाभ और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव (Analysis)
आर्थिक सुरक्षा व OOPE (Out-of-Pocket Expenditure)
सरकारी आंकड़े और स्वतंत्र विश्लेषण बताते हैं कि कई लाभार्थियों के लिए catastrophic health expenditure घटा है — OOPE में उल्लेखनीय कमी दर्ज की जा रही है (अलग-अलग रिपोर्ट्स में रुझान 20–30% घटाव दिखाते हैं)। यह तथ्य गरीबी-रोकथाम पर सकारात्मक है।
गुणवत्ता और पहुँच
निजी अस्पतालों के पैनल पर आने से रोगियों को विकल्प और त्वरित इलाज मिला — पर शहरी–ग्रामीण असंतुलन व कुछ राज्यों में इम्पलीमेंटेशन की चुनौतियाँ बनी हुई हैं। (West Bengal जैसी कुछ राज्यों की भागीदारी पर पारस्परिक सूचनाएँ मीडिया पर रहती हैं)।
स्किलिंग और रोजगार
HWC व स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य चैनलों के माध्यम से ASHA/आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का स्वास्थ्य नेटवर्क में समावेश हुआ — इससे समुदाय स्तर पर हेल्थ-लिटरसी और रोज़गार में सुधार देखा गया।
चुनौतियाँ (Problems) और समाधान (Policy Responses)
मुख्य चुनौतियाँ
- पात्रता पहचान और कवरेज में अंतर: सभी पात्रों का समुचित पहचान होना चुनौती।
- बिल भुगतान/दावे (pending/unpaid claims) की शिकायतें — कुछ मेडिकल निकायों ने बकाया भुगतानों का जिक्र किया है।
- कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में अस्पताल इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव।
- लाभार्थी जागरूकता और शिकायत निवारण की कमी।
समाधान/नीति कदम
- eKYC, door-to-door verifications, मोबाइल कैंप और CSC/एजेंसी-आधारित कार्ड सेंसस।
- तीन-स्तरीय grievance redressal (District/State/National)।
- निजी–राज्य भागीदारी, HWC विस्तार, टेलीमेडिसिन के जरिए पहुँच सहज करना।
- क्लेम पेमेंट प्रोसेसिंग में सुधार हेतु डिजिटल ऑडिट, TAT निर्धारण और टाइम-सीन क्लेम क्लोजर नियम।
परीक्षा उपयोगी तथ्य —
- आरंभ: 23 सितंबर 2018 — रांची।
- वार्षिक कवरेज: ₹5 लाख प्रति परिवार प्रति वर्ष।
- कवरेज बेसलाइन: लगभग 50–55 करोड़ लोग (12–15 करोड़ परिवार — विभिन्न स्रोत)।
- अस्पताल भर्ती: ~9.8–10.3 करोड़ (authorized admissions)। कुल खर्च लगभग ₹1.40–1.48 लाख करोड़।
- पैनल अस्पताल: ~31,000+ (राज्यवार)।
FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Updated)
MCQ प्रैक्टिस प्रश्न
निष्कर्ष
आयुष्मान भारत ने सात वर्षों में बड़ी पहुँच और वित्तीय सुरक्षा स्थापित की है — डिजिटल हेल्थ के एकीकरण, वरिष्ठ नागरिक कवरेज और HWC के विस्तार से यह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ बनती जा रही है। हालांकि कुछ ऑपरेशनल चुनौतियाँ और भुगतान/कवरेज में असमानताएँ बनी हुई हैं, पर नीति-स्तर पर निरन्तर सुधार और विस्तार इसे भविष्य की सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिशा में मील का पत्थर बनाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में इस विषय पर लिखते समय (i) ताज़ा आधिकारिक आंकड़े, (ii) नीति विस्तार और तर्क, तथा (iii) स्रोत-संदर्भ जोड़ना न भूलें।


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