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भारत और भूटान के रिश्ते हुए और मजबूत ,राजगीर में रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का किया गया उद्घाटन |

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 बिहार के राजगीर में रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन

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4 सितम्बर 2025 को बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में पारंपरिक बौद्ध अनुष्ठानों के बीच रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबग्ये और भारत के केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू विशेष रूप से उपस्थित रहे। दोनों देशों के अधिकारियों और बौद्ध समुदाय के नेताओं ने भी इसमें हिस्सा लिया। यह आयोजन भारत और भूटान के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सहयोग का प्रतीक है।

राजगीर का महत्व

  • राजगीर ऐतिहासिक और धार्मिक दोनो  दृष्टि से विशेष स्थान रखता है।
  • भगवान बुद्ध ने यहां साधना और उपदेश दिए।
  • बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद ,यहीं प्रथम प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया था ।
  • यह स्थान आज भी बौद्ध परंपरा और इतिहास से जुड़ा एक प्रमुख केंद्र है।

ऐसे ऐतिहासिक स्थल पर बना यह नया मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा, बल्कि भारत और भूटान के साझा बौद्ध मूल्यों को भी प्रदर्शित करेगा।

भारत–भूटान संबंधों को नया आयाम

  • भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबग्ये ने कहा कि यह मंदिर दोनों देशों की गहरी मित्रता और साझा सांस्कृतिक धरोहर को मज़बूत करेगा।
  • भारत के केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने भी भारत–भूटान की साझेदारी की सराहना करते हुए शांति, सद्भाव और बौद्ध धरोहरों के संरक्षण पर जोर दिया।

समारोह की मुख्य बातें

  • उद्घाटन भूटानी परंपरा और बौद्ध रीति-रिवाजों से सम्पन्न हुआ।
  • भारत और भूटान के शीर्ष प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
  • सांस्कृतिक और धार्मिक सहयोग को प्रमुखता दी गई।
  • बौद्ध पर्यटन और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।

महाबोधि मंदिर का क्या है  इतिहास | Mahabodhi Temple History in Hindi

महाबोधि मंदिर का परिचय

महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) बिहार के गया जिले के बोधगया में स्थित है। यह वही पवित्र स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त (बुद्धत्व) किया था। इस कारण से यह मंदिर बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है ,और यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के रूप में मान्यता दी है।

निर्माण और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • महाबोधि मंदिर का मूल निर्माण मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था।
  • अशोक ने यहाँ विहार और स्तूप बनवाए, जिससे यह स्थान बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र बना।
  • समय के साथ मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार हुआ।
  • वर्तमान मंदिर का निर्माण लगभग 5वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी में गुप्तकाल के दौरान हुआ

स्थापत्य कला

  • मंदिर की ऊँचाई लगभग 55 मीटर है और यह द्रविड़ शैली की झलक प्रस्तुत करता है।
  • इसके चारों ओर छोटे-छोटे स्तूप और मंदिर बने हुए हैं।
  • मंदिर के अंदर बुद्ध की विशाल मूर्ति विराजमान है, जो ध्यान मुद्रा में बोधि वृक्ष की ओर मुख किए हुए है।
  • मंदिर परिसर में ही बोधि वृक्ष स्थित है, जिसके नीचे बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • यह स्थल बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
  • हर वर्ष हजारों की संख्या में देशी-विदेशी बौद्ध तीर्थयात्री और पर्यटक यहाँ आते हैं।
  • महाबोधि मंदिर केवल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए शांति और करुणा का प्रतीक है 

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

  • महाबोधि मंदिर को 2002 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
  • यह निर्णय इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए लिया गया।

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परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
  • महाबोधी मंदिर कहा स्थित है : बोधगया (बिहार )
  • निर्माण – मूल निर्माण सम्राट अशोक (3री शताब्दी ई.पू.), पुनर्निर्माण गुप्तकाल (5वीं-6वीं शताब्दी ई.)
  • ऊँचाई – लगभग 55 मीटर
  • विश्व धरोहर – 2002 में यूनेस्को द्वारा घोषित
  • महत्व – यहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था
  • रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन कहा किया गया  – राजगीर, बिहार (नालंदा जिला)
  • तारीख – 4 सितम्बर 2025
  • मंदिर – रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर
  • उद्घाटन – भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबग्ये और भारत के केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू
  • महत्व – भगवान बुद्ध की साधना, उपदेश और प्रथम बौद्ध संगीति से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल