US HIRE ACT 2025 हुआ लागू: भारत का निर्यात उद्योग होगा प्रभावित
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US HIRE ACT 2025 – घरेलू रोजगार बढ़ाने और आयात कम करने के लिए।
अमेरिका ने हाल ही में US HIRE ACT 2025 लागू किया है, जिसका उद्देश्य अपने घरेलू रोजगार को बढ़ावा देना और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना है। यह नया क़ानून भारत सहित कई देशों के लिए चुनौती बन सकता है क्योंकि अमेरिका भारत का प्रमुख निर्यात गंतव्य है। खासकर IT, वस्त्र, फ़ार्मास्युटिकल और जेम्स-ज्वेलरी सेक्टर सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। इस लेख में हम इस कानून के प्रमुख प्रावधान, इसके प्रभाव और भारत की संभावित रणनीति पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
US HIRE ACT 2025 क्या है?
HIRE ACT की परिभाषा और पूरा नाम :
HIRE ACT का पूरा नाम "Hiring Incentives to Restore Employment Act" है। इसका उद्देश्य अमेरिका में घरेलू कंपनियों को प्रोत्साहित करना और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करना है।
2025 में किए गए नए संशोधन
- विदेशी आयातित उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स और टैरिफ लगाए गए हैं।
- आईटी और सर्विस सेक्टर में वीज़ा प्रतिबंध सख्त किए गए हैं।
- अमेरिकी कंपनियों को "Made in USA" उत्पाद खरीदने के लिए कर छूट (Tax Incentives) दी जाएगी।
मुख्य प्रावधान (Key Provisions)
- विदेशी आयात पर 10–15% अतिरिक्त शुल्क।
- H-1B और अन्य वर्क वीज़ा की संख्या में कटौती।
- अमेरिकी कंपनियों को स्थानीय रोजगार देने पर टैक्स छूट।
अमेरिका की मंशा (US Perspective)
- घरेलू रोजगार को बढ़ावा देना: बेरोजगारी दर को कम करने के लिए यह कानून लाया गया।
- विदेशी आयात पर नियंत्रण: चीन और भारत जैसे देशों से होने वाले आयात को सीमित करना।
- "Made in USA" को प्रोत्साहन: स्थानीय उत्पादन और खपत को बढ़ावा।
भारत पर सीधा प्रभाव
- भारत अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इस कानून का असर निम्नलिखित रूप से होगा:
- Textiles: भारतीय कपड़ा और परिधान पर अतिरिक्त शुल्क लगेगा।
- IT Services: वीज़ा प्रतिबंध से भारतीय IT प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे।
- Pharma: अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा और कठिन होगी।
- Gems & Jewelry: अतिरिक्त टैक्स से निर्यात महंगा होगा।
- लागत और अनुपालन चुनौतियाँ
- भारतीय कंपनियों को:
- नए अनुपालन मानक पूरे करने होंगे।
- लॉजिस्टिक लागत और टैक्स बढ़ने से प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी.
भारत-अमेरिका व्यापार संतुलन
भारत का अमेरिका को निर्यात कम हो सकता है, जिससे ट्रेड डेफिसिट पर असर पड़ेगा।
किन सेक्टर्स पर सबसे ज़्यादा असर होगा?
1. आईटी और सर्विस सेक्टर – H-1B वीज़ा प्रतिबंध से बड़ी चुनौतियाँ।
2. वस्त्र और परिधान – 15% शुल्क से भारतीय टेक्सटाइल महंगे होंगे।
3. फ़ार्मास्युटिकल उद्योग – जेनेरिक दवाओं के निर्यात में बाधा।
4. ऑटो कंपोनेंट्स और स्टील – लागत बढ़ने से प्रतिस्पर्धा कम होगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव
- निर्यात में गिरावट: अमेरिका को होने वाला निर्यात प्रभावित होगा।
- रोजगार पर असर: IT और Textile सेक्टर में नौकरियाँ प्रभावित होंगी।
- डॉलर-रुपया विनिमय दर: रुपया कमजोर हो सकता है।
भारत की संभावित रणनीति
- नए बाज़ार की तलाश: EU, ASEAN और Middle East में निर्यात बढ़ाना।
- FTA पर फोकस: यूरोप और खाड़ी देशों से मुक्त व्यापार समझौते।
- सप्लाई चेन विविधीकरण: वैकल्पिक निर्यात गंतव्य ढूँढना।
- Make in India और PLI योजना: घरेलू उत्पादन और निर्यात को मज़बूत करना।
वैश्विक व्यापार पर असर
- चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों पर भी असर पड़ेगा।
- WTO विवाद: यह कानून WTO नियमों के खिलाफ हो सकता है।
- ग्लोबल सप्लाई चेन: कंपनियाँ एशिया के अन्य देशों में निवेश बढ़ा सकती हैं।
विशेषज्ञों की राय
- अर्थशास्त्री: यह कानून अल्पकाल में अमेरिका को लाभ देगा लेकिन दीर्घकाल में नुकसान।
- FIEO और CII: भारत को तुरंत वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए।
- FICCI: भारत को घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी।
निष्कर्ष
US HIRE ACT 2025 भारत के निर्यात उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण है। IT, Textile और Pharma जैसे सेक्टर पर सीधा असर पड़ेगा। भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए निर्यात विविधीकरण, नए व्यापार समझौते और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना होगा।
FAQs
Q1. US HIRE ACT 2025 क्या है?
यह अमेरिका का नया कानून है जिसका उद्देश्य स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देना और विदेशी आयात को कम करना है।
Q2. भारत पर इसका सबसे ज़्यादा असर किस सेक्टर पर होगा?
आईटी, टेक्सटाइल, फ़ार्मास्युटिकल और जेम्स-ज्वेलरी सेक्टर सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे।
Q3. भारत इस चुनौती से कैसे निपट सकता है?
भारत नए बाज़ारों की तलाश, FTA समझौते और Make in India जैसी योजनाओं पर फोकस कर सकता है।
Q4. क्या यह कानून WTO नियमों के खिलाफ है?
हाँ, विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कानून WTO नियमों का उल्लंघन हो सकता है और विवाद की संभावना है।
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