भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन दोहरीकरण को कैबिनेट की मंजूरी – UPSC/BPSC के लिए विस्तृत विश्लेषण
भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना – आकांक्षी जिलों और क्षेत्रीय विकास में भूमिका
भारत में बुनियादी ढांचे का विकास केवल आर्थिक प्रगति का संकेतक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन स्थापित करने का भी माध्यम है। रेलवे नेटवर्क को मजबूत करना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सितम्बर 2025 को भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन (177 किमी) के दोहरीकरण को मंजूरी दी।
इस परियोजना की कुल लागत ₹3,169 करोड़ होगी। इसका उद्देश्य केवल यात्री सुविधा बढ़ाना नहीं है, बल्कि माल ढुलाई की क्षमता को बेहतर करना, आकांक्षी जिलों के विकास को प्रोत्साहित करना और हरित अवसंरचना (Green Infrastructure) को आगे बढ़ाना है।
यह परियोजना PM Gati Shakti National Master Plan के अनुरूप है, जो भारत में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी। इस परियोजना से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तीनों राज्यों को सीधा लाभ मिलेगा।
परियोजना के प्रमुख उद्देश्य व लाभ (Objectives & Benefits)
मुख्य उद्देश्य
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रेल संपर्क मजबूत करना: बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच तेज़ और सुरक्षित रेल संपर्क।
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भीड़भाड़ कम करना: अभी यह लाइन सिंगल ट्रैक है, जिस पर भीड़ और समय की समस्या रहती है। दोहरीकरण से यह दबाव घटेगा।
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माल ढुलाई क्षमता बढ़ाना: उद्योगों और व्यवसायों को तेज़, किफायती और सुरक्षित लॉजिस्टिक्स सुविधा मिलेगी।
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क्षेत्रीय विकास: आकांक्षी जिलों और पिछड़े क्षेत्रों तक पहुंच आसान होगी।
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अपेक्षित लाभ
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यात्रियों की सुविधा में वृद्धि: ट्रेनें समय पर चलेंगी, यात्रा तेज़ और आरामदायक होगी।
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लॉजिस्टिक्स लागत में कमी: उद्योगों को उत्पादन और वितरण की लागत कम होगी।
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आर्थिक विकास: व्यापार, उद्योग और पर्यटन के नए अवसर बनेंगे।
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सामाजिक प्रभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक पहुंच आसान होगी।
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लाभान्वित जनसंख्या और क्षेत्र (Beneficiaries & Coverage)
यह रेल लाइन मुख्य रूप से पाँच जिलों को जोड़ती है और सीधे तौर पर लगभग 28.72 लाख लोगों को लाभान्वित करेगी।
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कुल गाँव: 441 गाँव इस लाइन से सीधे जुड़े होंगे।
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आकांक्षी जिले: नीति आयोग के अनुसार इस परियोजना में 3 आकांक्षी जिले शामिल हैं:
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बांका (बिहार)
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गोड्डा (झारखंड)
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दुमका (झारखंड)
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➡️ इन जिलों को अब तक पर्याप्त औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स विकास का लाभ नहीं मिल पाया था। इस परियोजना से इन इलाकों में निवेश और विकास के नए अवसर खुलेंगे।
सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व (Cultural & Religious Linkages)
रेल मार्ग से दो प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल जुड़े होंगे:
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देवघर (झारखंड): बाबा बैद्यनाथ धाम
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तारापीठ (पश्चिम बंगाल): शक्तिपीठ
इन स्थलों पर हर वर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। रेल लाइन के दोहरीकरण से यहाँ पहुँचने में आसानी होगी, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा।
माल ढुलाई क्षमता और पर्यावरणीय प्रभाव (Freight & Environment Impact)
माल ढुलाई में सुधार
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इस लाइन के दोहरीकरण से माल ढुलाई की क्षमता में 15 MTPA (Million Tonnes Per Annum) की अतिरिक्त वृद्धि होगी।
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यह वृद्धि मुख्य रूप से निम्नलिखित वस्तुओं के परिवहन में होगी:
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कोयला (Coal)
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सीमेंट (Cement)
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उर्वरक (Fertilizers)
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ईंट-पत्थर (Construction Materials)
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➡️ उद्योगों को कच्चा माल और तैयार माल भेजने में सुविधा होगी, जिससे उत्पादन की लागत कम होगी।
पर्यावरणीय लाभ
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तेल आयात में बचत: लगभग 5 करोड़ लीटर तेल की बचत होगी।
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CO₂ उत्सर्जन में कमी: लगभग 24 करोड़ किलोग्राम CO₂ उत्सर्जन कम होगा।
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यह प्रभाव लगभग 1 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
➡️ यह परियोजना न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में भी सकारात्मक योगदान करेगी।
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स्थायी तथ्य (Static Data – Exam Friendly)
बिंदु | तथ्य |
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अनुमोदन तिथि | 10 सितम्बर 2025 |
परियोजना दूरी | 177 किमी |
कुल लागत | ₹3,169 करोड़ |
राज्य | बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल |
लाभान्वित जनसंख्या | 28.72 लाख लोग |
गाँव | 441 |
आकांक्षी जिले | बांका, गोड्डा, दुमका |
धार्मिक स्थल जुड़े | देवघर (झारखंड), तारापीठ (प. बंगाल) |
माल ढुलाई क्षमता | 15 MTPA अतिरिक्त |
पर्यावरणीय लाभ | 5 करोड़ लीटर तेल बचत, 24 करोड़ किग्रा CO₂ कमी |
परीक्षा दृष्टिकोण (Exam Relevance)
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भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन तीन राज्यों से होकर गुजरती है।
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परियोजना दूरी: 177 किमी।
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लागत: ₹3,169 करोड़।
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आकांक्षी जिले: बांका, गोड्डा, दुमका।
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पर्यावरणीय लाभ: तेल बचत और CO₂ उत्सर्जन में कमी
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण (Analytical Perspective)
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आर्थिक दृष्टिकोण:
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लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
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कोयला, सीमेंट और उर्वरक जैसे क्षेत्रों को विशेष लाभ।
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सामाजिक दृष्टिकोण:
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ग्रामीण और आकांक्षी जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की पहुँच आसान होगी।
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स्थानीय युवाओं को रेलवे और सहायक उद्योगों में रोजगार मिलेगा।
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राजनीतिक दृष्टिकोण:
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तीन राज्यों को जोड़ने वाली परियोजना क्षेत्रीय एकता और संतुलन को मजबूत करेगी।
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पर्यावरणीय दृष्टिकोण:
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कार्बन फुटप्रिंट घटेगा।
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हरित अवसंरचना का लक्ष्य पूरा होगा।
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संभावित परीक्षा प्रश्न (Possible Questions)
Prelims
प्रश्न: भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन दोहरीकरण किन राज्यों से होकर गुजरती है?
(a) बिहार, झारखंड, प. बंगाल ✅
(b) बिहार, उ.प्र., झारखंड
(c) प. बंगाल, उ.प्र., बिहार
(d) झारखंड, बिहार, ओडिशा
Mains (GS-3)
"भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना आकांक्षी जिलों में विकास और हरित अवसंरचना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। चर्चा कीजिए।"
निष्कर्ष (Conclusion)
भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन का दोहरीकरण केवल एक रेलवे परियोजना नहीं है, बल्कि यह पूर्वी भारत में क्षेत्रीय विकास, सामाजिक समावेशन और हरित अवसंरचना की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।
इससे न केवल यात्रियों और उद्योगों को लाभ होगा, बल्कि आकांक्षी जिलों में निवेश, रोजगार और जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
यह परियोजना भारत सरकार की PM Gati Shakti National Master Plan और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है। UPSC, BPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में यह विषय महत्वपूर्ण Current Affairs के रूप में पूछा जा सकता है।
FAQs
Q1. भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेल लाइन दोहरीकरण की कुल दूरी कितनी है?
Ans: 177 किमी।
Q2. इस परियोजना की अनुमानित लागत कितनी है?
Ans: ₹3,169 करोड़।
Q3. परियोजना से कितने लोग और गाँव सीधे लाभान्वित होंगे?
Ans: लगभग 28.72 लाख लोग और 441 गाँव।
Q4. आकांक्षी जिलों में कौन-कौन से जिले शामिल हैं?
Ans: बांका (बिहार), गोड्डा और दुमका (झारखंड)।
Q5. पर्यावरणीय लाभ क्या होंगे?
Ans: तेल आयात में 5 करोड़ लीटर की बचत, 24 करोड़ किग्रा CO₂ उत्सर्जन में कमी, जो 1 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
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