भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना वर्ष 1600 ईस्वी में हुआ |इस समय ब्रिटेन की महारानी "एलिजाबेथ प्रथम" थी |
- कंपनी के स्थापना के समय भारत पर मुगल बादशाह " अकबर " का शासन था , लेकिन कंपनी ने अपना व्यापार का आरंभ जहांगीर के शासन काल में शुरू किया था |
- ब्रिटिश कंपनी और मुगल शासन के बीच संघर्ष की शुरुआत मुगल बादशाह " औरंगजेब " के शासन काल से शुरू हो गया था |
- वर्ष 1707 में जब मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु हुई ,तब अंग्रेजो ने भारत में अपना साम्राज्य को विस्तार करने लगे ,क्युकी , औरंगजेब की मृत्यु के बाद ,मुगल शासन काल में सभी के सभी अयोग्य बादशाह बने जिसका , फायदा अंग्रेजो ने खूब उठाया ,और धीरे धीरे उन्होंने भारत की शासन व्यवस्था को अपने हाथ में ले लिया और बहुत से भारतीय शासक को अंग्रेज अपने साथ मिला लिया ,और जो नही मिले उन्हें जंग में हराकर उनका सारा साम्राज्य जीत लिया और उसे मार दिया |
- वर्ष 1757 में हुए पलासी के युद्ध से अंग्रेजो ने भारत में अपनी प्रभुसत्ता की स्थापना करना प्रारंभ कर दिया था | पलासी के युद्ध के बाद से ही बंगाल में गवर्नर का पद आया था | जिसके प्रथम गवर्नर " रॉबर्ट क्लाइव " को बनाया गया था |
- 1773 के रेग्युलेटिग एक्ट के तहत ही बंगाल में गवर्नर के कार्य अधिकार शक्ति में वृद्धि किया गया , तथा उसका पद नाम को बदलकर " बंगाल का गवर्नर जनरल" कर दिया गया |
- वर्ष 1833 के चार्टर एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया |
- 1858 में भारत के गवर्नर जनरल के पाद को समाप्त करके वायसराय का पद लाया गया
Note : वर्ष 1757 में गवर्नर का पद आया ,और 1773 में उसका नाम में परिवर्तन कर उसे बंगाल का गवर्नर जनरल का पद लाया गया , और 1833 में गवर्नर के पद को समाप्त कर भारत का गवर्नर जनरल का पद लाया गया , और वर्ष 1858 में इसे भी समाप्त करके वायसराय का पद लाया गया |
बंगाल का प्रथम गवर्नर | रॉबर्ट क्लाइव | 1757 |
बंगाल का अंतिम गवर्नर | वॉरेन हेस्टिंग्स | 1772 -1785 |
बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल | वॉरेन हेस्टिंग्स | |
बंगाल का अंतिम गवर्नर जनरल | विलियम बेंटिंग | |
भारत का प्रथम गवर्नर जनरल | विलियम बेंटिंग | |
भारत का अंतिम गवर्नर जनरल | लॉर्ड कैनिंग | |
भारत का प्रथम वायसराय | लॉर्ड कैनिंग | 1858 |
भारत का अंतिम वायसराय | माउंट बेटन | |
स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल | माउंट बेटन | |
| स्वतंत्र भारत के प्रथम एवम अंतिम भारतीय गवर्नर :जनरल | चक्रवर्ती राजगोपालाचारी |
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट :
- वर्ष 1773 में रेगुलेटिंग एक पारित किया गया , इस समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री " लॉर्ड नॉर्थ " था , |
- इस एक्ट का काफी ज्यादा महत्व था, क्युकी इस एक्ट को ब्रिटिश संसद ने ब्रिटिश कंपनी को शासन में लाने के लिए पारित किया था | ताकि ब्रिटिश कंपनी भारत में व्यापार में मनमाना कर रहे थे और जितना , मुनाफा हो रहा था वो , ब्रिटिश क्राउन के पास नही पहुंच रहा था ,और भारतीयों का शोषण किया जा रहा था , जिससे ब्रिटिश संसद को दर था की कही भारत में फिर से कोई बहुत बड़ा विद्रोह न हो जाए |
इस एक्ट में किए गए प्रावधान :
- बंगाल प्रेसीडेंसी के अधीन बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी को कर दिया गया |
- बंगाल प्रेसीडेंसी में गवर्नर जनरल और 04 सदस्य को मिलाकर एक सरकार का गठन किया गया |
- कोलकाता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना का प्रावधान किया गया | और इसी प्रावधान के तहत वर्ष 1774 में कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना किया गया | जिसके प्रथम मुख्य न्यायधीश = सर एलिजा इंपे, और अन्य तीन न्यायधीश = चेंबर्स , लिमेंटर्श ,और हाइड हुए |
- बंगाल के गवर्नर के कार्य अधिकार शक्ति में वृद्धि किया गया , और बंगाल के गवर्नर के पद को बंगाल के गवर्नर जनरल में परिवर्तित कर दिया गया | और बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल " वॉरेन हेस्टिंग्स " को बनाया गया |
- इस एक्ट को प्रयास और भूल की संज्ञा दी जाती है , क्युकी यह एक अस्पष्ट एक्ट था , इसमें बंगाल के गवर्नर जनरल ,और कोलकाता में स्थापित सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के कार्य अधिकार क्षेत्र को परिभाषित नहीं किया गया था |
- इसी कमियां को दूर करने के लिए वर्ष 1781 में एक और एक्ट पारित किया गया जिसे , " एक्ट ऑफ सेटलमेंट " की संज्ञा दिया गया | और इसी एक्ट के माध्यम से बंगाल के गवर्नर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के अधिकारों को परिभाषित किया गया |
रेग्यूलटिंग एक्ट 1784 :
- यह एक को वर्ष 1784 में लाया गया , और उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विलियम पिट्स के द्वारा लाया गया था , जिस कारण इसे पिट्स इंडिया एक्ट के नाम से जान जाता है |
इस एक्ट के प्रमुख प्रावधान :=
- कंपनी के राजनीतिक मामलों को देख रहे करने हेतु लंदन में " बोर्ड ऑफ कंट्रोल " की स्थापना किया गया |
- कंपनी द्वारा जीते गए क्षेत्र को " ब्रिटिश अधिपत्य " क्षेत्र का दर्जा दिया गया |
- 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट में संशोधन , 1786 में आए एक नए एक्ट में किया गया ,जिसे " 1786 का अमेंडमेंट एक्ट " कहा गया | और इस एक्ट के माध्यम से गवर्नर जनरल को विशेषाधिकार प्रदान किया गया |
1793 का चार्टर एक्ट :
- इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया की , कंपनी जो की भारत में व्यापार कर रही है ,उसे अगले 20 वर्षो तक व्यापार करने की छूट दी जाती है | अर्थात उन्हे अगले 20 वर्षो तक भारत में व्यापार करने का अधिकार प्राप्त रहेगा |
- कंपनी के स्थापना के समय ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम, ने कंपनी को 15 वर्षो के लिए व्यापारिक एकाधिकार को प्रदान किया , लेकिन जेम्स प्रथम ने कंपनी को अनिश्चित कालीन व्यापारिक एकाधिकार प्रदान किया |
- कंपनी के अधिक व्यापारियों और कर्मचारियों का वेतन भारत के ही राजस्व से दिया जाएगा |
1813 का चार्टर अधिनियम :
- कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त किया जाता है | लेकिन कंपनी चाहे तो ,व्यापार कर सकता है , अर्थात इस अधिनियम के माध्यम से , अब भारत में ब्रिटेन का कोई भी कंपनी व्यापार कर सकता है , न की केवल ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ही ,व्यापार करेगा |
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ,कंपनी का चाय और पूर्वी एशिया पर व्यापार का एकाधिकार बना रहेगा |
- अर्थात कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार , 1813 के चार्टर अधिनियम के माध्यम से आंशिक रूप से समाप्त किया गया |
- शिक्षा पर प्रति वर्ष एक लाख रुपए खर्च किए जायेंगे |
- ईसाई धर्म प्रचारकों को भारत में ईसाई धर्म का प्रचार और प्रसार करने का अधिकार प्राप्त हो गया |
1833 का चार्टर अधिनियम :
- इस अधिनियम के माध्यम से कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया |
- बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया | और इस प्रकार भारत का प्रथम गवर्नर जनरल " लॉर्ड विलियम बेंटिंग " बने |
- भारत से दास प्रथा का अंत करने का प्रावधान किया गया |
- कंपनी में नियुक्ति के संबंध में भेदभाव को समाप्त किया गया |
- कंपनी में अब से योग्यता के आधार पर नियुक्ति किया जाएगा , अर्थात कंपनी को अब प्रशासनिक कंपनी बना दिया गया |
NOTE: वर्ष 1813 के चार्टर अधिनियम के तहत कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को आंशिक रूप से समाप्त किया गया था ,लेकिन 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत , व्यापारिक एकाधिकार को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया |
1853 का चार्टर एक्ट :
- इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया की अब से सिविल सेवको की नियुक्ति हेतु प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन किया जाएगा |
- 1853 के चार्टर एक्ट से पहले सिविल सेवको की परीक्षा का आयोजन " बोर्ड ऑफ डायरेक्टर " करता था , परंतु 1853 के चार्टर एक्ट के बाद से , सिविल सेवको की नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से किया जाने लगा |
- सिविल सेवा प्रतियोगीता परीक्षा आयोजन करने वाला पहला देश चीन था |
- सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय " सत्येंद्र नाथ टैगोर " बने |
- 1922 से 1923 ईस्वी तक सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन लंदन के साथ साथ भारत में ( इलाहाबाद ) भी किया जाने लगा |
- इस एक्ट के माध्यम से ही विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पेश किया गया |
- इस एक्ट में यह कहा गया की ब्रिटेन की महारानी के इच्छा तक भारत में प्रशासनिक कार्यवाही बनी रहेगी|
( ब्रिटिश शासन को दो भागों में बाटा गया है )
- कंपनी का शासन : 1757 से 1857 तक |
- क्राउन का शासन : 1858 से 1947 तक |
# 1858 का भारत परिषद अधिनियम :
- इस अधिनियम को भारत के शासन को बेहतर बनाने वाला अधिनियम कहा जाता है |
- इस अधिनियम के तहत ब्रिटिश कंपनी के शासन का अंत हो गया ,और अब भारत पर सीधे ब्रिटेन की महारानी का शासन स्थापित हो गया |
- गवर्नर जनरल पद का नाम बदलकर " वायसराय " कर दिया गया |
- बोर्ड ऑफ डायरेक्टर (व्यापारिक मामले की देख रेख करता था ) , बोर्ड ऑफ कंट्रोलर ( राजनीतिक मामलों की देख रेख करता था ) का अंत कर दिया गया | बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ,और बोर्ड ऑफ कंट्रोलर का पद 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट के तहत लाया गया था |
- इस भारत परिषद अधिनियम के तहत " भारत का सचिव " नामक नया पद लाया गया |
- प्रथम भारत सचिव : लॉर्ड स्टेनले
- भारत से मुगल शासन का हमेशा हमेशा के लिए अंत हो गया | और भारत से राजतंत्र का अंत हो गया |
# 1861 का भारत परिषद अधिनियम :
- इस अधिनियम में निम्नलिखित प्रावधान किया गया :
- वायसराय को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया |
- इस अधिनियम के तहत भारत में कैबिनेट प्रणाली की नीव रखी गई |
- इस अधिनियम के तहत बंगाल , उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रांत और पंजाब में विधान परिषद का गठन किया गया |
- इस समय के वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने बनारस के राजा , पटियाला के राजकुमार , और सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनित किया गया |
# 1873 का भारत परिषद अधिनियम :
- इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया की , ब्रिटिश कंपनी को कभी भी भंग किया जा सकता है | और अंततः , 01 जनवरी 1884 को ब्रिटिश कंपनी को औपचारिक तौर पर हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया |
# 1892 का भारत परिषद अधिनियम :
- 1885 ईस्वी में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नामक संस्था के दबाव में आकर यह अधिनियम पारित किया गया था |
- 1892 के भारत परिषद अधिनियम के तहत ही ,भारत में अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत किया गया |
- विधान परिषद के सदस्यों को प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया ,लेकिन पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं दिया गया |
- विधान परिषद के सदस्यों को बजट पर बोलने का अधिकार दिया गया लेकिन मतदान करने का अधिकार नहीं दिया गया |
# 1909 का भारत शासन अधिनियम(मार्ले मिंटो सुधार)
- इस अधिनियम को भारत का सचिव "लॉर्ड मार्ले " और भारतीय वायसराय लॉर्ड मिंटो के द्वारा लाया गया था , इस कारण इस अधिनियम को " मार्ले मिंटो अधिकार " अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है
- इस अधिनियम के पारित होने के समय ब्रिटेन का प्रधान मंत्री : H.H. अक्वीथ. थे |
इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं निम्न है :
- मुसलमानो को पृथक निर्वाचन का अधिकार दिया गया | अर्थात् उस चुनाव में उम्मीदवार और मतदाता दोनो मुसलमान ही होते थे |
- वायसराय के कार्यकारिणी परिषद में एक भारतीय सदस्य को शामिल किया जाएगा |इसके तहत शामिल किया जाने वाले पहले भारतीय ; सर सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा " हुए |
- इस अधिनियम के तहत विधान परिषद के सदस्यों को पहली बार बजट पर मतदान करने और साथ ही पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया |
# 1919 का भारत शासन अधिनियम (मानटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम )
- इस अधिनियम को भात के वर्तमान सचिव ," मानटेग्यू " तथा वायसराय चेम्स फोर्ड ने मिलकर लाया था | इसलिए इस अधिनियम को मानटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम कहा जाता है |
- यह अधिनियम वर्ष 1919 में लाया गया था लेकिन पारित वर्ष 1921 में हुआ |
- इस अधिनियम के पारित होने के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री " लॉर्ड जॉर्ज " थे |
- इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं :-
- प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरुआत हुई | ( अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरुआत : 1892 )
- पहली बार महिलाओं को मतदान करने का अधिकार दिया गया |
- केंद्रीय बजट से राज्य बजट को अलग किया गया |
- सिविल सेवको की नियुक्ति हेतु ,प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन अब लंदन के साथ साथ भारत में भी किया जाने लगा |
- इस अधिनियम के तहत 1926 में अखिल भारतीय संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना किया गया |
- प्रांतों में द्वैध शासन को लागू किया गया |
- प्रांतों में द्वैध शासन का जनक " लुनस कार्टियस " को माना जाता है |
- केंद्र में द्विसदनीय विधायी परिषद का गठन किया गया , जिसमे से एक राज्य परिषद और दूसरा केंद्रीय विधान सभा बनाया गया | जो की बाद में चल कर जब देश आजाद हुआ तब , राज्य परिषद - राज्य सभा में परिवर्तित हो गया , और केंद्रीय विधान सभा - लोकसभा में परिवर्तित हो गया |
- 1919 के भारत शासन अधिनियम के तहत ही सिख ,ईसाई ,और आंग्ल भारतीय समुदाय के लोगो को पृथक निर्वाचन का अधिकार दिया गया |
साइमन कमीशन आयोग का आगमन :
- वर्ष 1919 की अधिनियम की जांच हेतु 1927 में सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय आयोग का गठन हुआ , जिसे साइमन कमीशन आयोग कहा गया |
- इस आयोग का भारत आगमन वर्ष 1928 में हुआ ,और उन्होंने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1930 में प्रस्तुत किया|
- इस रिपोर्ट पर विचार विमर्श हेतु तीन गोलमेज सम्मेलन 1930,1931,और 1932 में आयोजित किया गया | जिसके आधार पर भरता शासन अधिनियम 1935 बनकर तैयार हुआ |
भारत शासन अधिनियम 1935
- ब्रिटिश सरकार के द्वारा पारित किया गया अब तक का सबसे बड़ा अधिनियम था , इसमें कुल 321 अनुच्छेद , और 10 अनुसूचियां शामिल थी |
- लेकिन इसमें प्रस्तावना का अभाव था |
- इस समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री " स्टेनले ब्लैडविन " थे |
इस अधियम की प्रमुख विशेषताएं निम्न है |
- ये भारतीय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण श्रोत है ,क्युकी भारतीय संविधान का अधिकतर प्रावधान इसी से लिए गए है |
- इस अधिनियम में यह कहा गया की देशी रियासत और ब्रिटिश प्रांत को मिलाकर भारतीय संघ का निर्माण किया जाएगा | किंतु भारतीय संघ अस्तित्व में नहीं आ सका , क्युकी देशी रियासत इसमें शामिल होने से साफ मना कर दिया था |
- प्रांतों में विधान सभा के चुनाव कराए जाएंगे | और अंततः 1937 में प्रांतों में विधान सभा का चुनाव कराया गया |
- 1937 में संघीय न्यायालय की स्थापना हुई ,जिसके तहत संघ सूची , राज्य सूची ,और समवर्ती सूची का प्रावधान किया गया |
- प्रांतों से द्वैद्ध शासन को समाप्त कर दिया गया, जिसे 1919 के भारतीय शासन अधिनियम के तहत लगाया गया था |
- केंद्र में द्वैद्घ शासन को लगाया गया |
- इस अधिनियम की प्रमुख विशेषता " प्रांतीय स्वायतता " है |
- पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस अधिनियम को " अनेकों ब्रेक वाला ,और इंजन रहित " अधिनियम बताया है |साथ ही साथ नेहरू ने इस अधिनियम को " गुलामी और दासता " पत्र वाला अधिनियम बताया है |
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
- ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया यह अंतिम अधिनियम था | इस अधिनियम को ब्रिटिश संसद में 04 जुलाई 1947 को पेश किया गया था ,और ब्रिटिश संसद ने इसे 18 जुलाई 1947 को पारित कर दिया |
- इसी अधिनियम के तहत "माउंटबेटन योजना " को स्वीकृति प्रदान किया गया , और अंततः भारत को एक लंबी गुलामी की जंजीर से आजादी मिल गई | और साथ ही साथ भारत का विभाजन हो गया और एक नया देश " पाकिस्तान " बना |
- भारत सचिव के पद को समाप्त कर दिया गया ,और राष्ट्रमंडल के सचिव का पद लाया गया |
- प्रथम भारत सचिव : लॉर्ड स्टेनले
- अंतिम भारत सचिव : लिस्ट वेल
- बाल्कन प्लान का संबंध भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 से है , पंडित जवाहर लाल नेहरू के समक्ष यह प्लान लॉर्ड माउंट बेटन ने रखा था |
- भारत की आजादी के समय ब्रिटेन का प्रधान मंत्री : क्लीमेंट ऐटली
- पाकिस्तान देश की स्वीकृति और भारत विभाजन माउंट बेटन योजना के तहत ही हुआ था |
- दलित महिला मजदूर को पृथक निर्वाचन का अधिकार भारत शासन अधिनियम 1935 के तहत मिला |
- 1833 के चार्टर के तहत प्रथम विधि आयोग का गठन 1834 में हुआ ,जिसके प्रथम विधि अध्यक्ष = लॉर्ड मैकाले बने |
- भारत में शिक्षा का मध्यम अंग्रेजी , लॉर्ड विलियम बेंटिंग के शासन काल में 1835 में बनाया गया |
- 1935 के भारत शासन अधिनियम के तहत ही अवशिष्ठ विषय पर कानून बनाने का अधिकार वायसराय या प्रांतीय गवर्नर को दिया गया |
- साइमन कमीशन आयोग का भारत में विरोध इस लिए किया गया की , इस आयोग में सभी सात सदस्य ब्रिटिश ही थे ,उसमे कोई भी भारतीय नही था |
- साइमन कमीशन आयोग के गठन के समय ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी |
- 1919 के अधिनियम में संघ लोक सेवा आयोग का गठन का प्रावधान किया गया ,और 1935 के अधिनियम में राज्य लोक सेवा आयोग और संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग का गठन किया गया |
- भारत की संघीय व्यवस्था कनाडा मॉडल पा आधारित है |
महत्वपूर्ण तथ्य
| 01.मुस्लिमो को पृथक निर्वाचक मंडल का अधिकार दिया गया : | 1909 |
| 02. सिख ,ईसाई ,और आंग्ल भारतीय को पृथक निर्वाचक मंडल का अधिकार दिया गया | | 1919 |
| 03. दलित ,महिला,और मजदूर को पृथक निर्वाचन का अधिकार | 1935 |
| 04. संघीय न्यायालय की स्थापना | 1937 |
| 05. प्रथम विधि आयोग का गठन | 1834 |


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