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न्यूटन के गति नियम एवम उनके प्रकार

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गति और उसके नियम 

न्यूटन के गति नियमों के बारे में और उनके विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया गया है।

* भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत वस्तुओं के गति के बारे में अध्ययन किया जाता है ,उसे यांत्रिकी अर्थात Machanics कहते है |और इस यांत्रिकी को तीन भागों में बाटा गया है |01 . Staistics Mechanics, 02 Kinematics Mechanics 03. Dynamics Mechanics

स्थैतिक यांत्रिकी (Staistics Mechanics ) 
==> वैसी यांत्रिकी जिसके अंतर्गत विराम अवस्था में रहने वाले वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है ,उसे स्थैतिक यांत्रिकी कहते है |
गतिज यांत्रिकी (Kinematics Mechanics) 
==> भौतिक विज्ञान के जिस ब्रांच के अंतर्गत गतिशील वस्तुओ का अध्ययन किया जाता है ,उसे गतिज  यांत्रिकी कहते है |
Dynamics Mechanics(डायनामिक यांत्रिकी)
==> भौतिक विज्ञान के जिस शाखा के अंतर्गत वस्तुओं में गति उत्पन्न होने वाले कारकों के बारे में अध्ययन किया जाता है , उस शाखा को डायनामिक यांत्रिकी कहते है |

==> सम्पूर्ण पृथ्वी के समस्त वस्तुओ में तीन प्रकार के गति पाई जाती है , 01.स्थानांतरण गति 02. चक्रीय गति 03. आवर्त गति |

स्थानांतरण गति कहते है |

==> वैसी गति जिसमें वस्तु अपनी दिशा को बिना बदले एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है उसे स्थांतरण गति कहते है |

चक्रीय गति :

==> वैसी गति जिसमें कोई भी वस्तु किसी वृताकार पथ के चारो ओर चाकर एक निश्चित समय अंतराल पर लगाता रहता है उसे ,चक्रीय गति कहते है |

आवर्त गति :

==> जब कोई वस्तु किसी निश्चित दूरी पर एक निश्चित समय में अपनी काल को पूरा करता रहता है , उस गति को आवर्त गति कहते है |

# विराम और गति में क्या अंतर है ?

विराम गति 
==> जब किसी वस्तु की स्थिति समय के साथ स्थिर रहता है ,नही बदलता है ,तो हम यह कह सकते है
 की वह वस्तु विराम की अवस्था में है ,और वह वस्तु तबतक विराम की अवस्था में
 ही रहेगा जब तक की उसपर कोई बाहरी बल का प्रयोग नहीं किया जाता है |
==> वैसी गति जो समय के साथ बदलती रहती है और अपनी दिशा में परिवर्तन करते रहती है , उसे गति कहते है |

दूरी और विस्थापन में अंतर :

==> आम बोलचाल में ऐसा लगता है की दूरी और विस्थापन दोनो एक ही है लेकिन ऐसा नहीं है भौतिकी की दुनिया में दोनो का मतलब अलग अलग होता है |

दूरी विस्थापन 
* किसी भी वस्तु के द्वारा एक आरंभ बिंदु से अंतिम दूरी तक तय किया गया ,कुल लंबाई को दूरी कहते है | जैसे अगर कोई व्यक्ति बिंदु A से बिंदु B तक जिसकी दूरी 5 km है,और बिंदु B से बिंदु C तक जिसकी दूरी 8 km है,तो उस व्यक्ति के द्वारा तय किया गया कुल दूरी 5+8 = 13 km होगा,* लेकिन उस व्यक्ति के द्वारा तय किया गया विस्थापन बिंदु A. से बिंदु C तक,तय किया गया न्यूनतम पाथ होगा |अर्थात किसी भी  पथ की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते है |
* किसी वस्तु द्वारा तय  किया गया लंबाई कभी भी शून्य नही हो सकता है |* लेकिन किसी वस्तु द्वारा तय किया गया विस्थापन शून्य हो सकता है |

* जब वस्तु एक सीधी लाइन पर बिना अपनी दिशा को बदले गति करता है तो उसके द्वारा तय किया गया दूरी और विस्थापन दोनो बराबर होगा |

* किसी भी गतिमान वस्तु की दूरी शून्य नही हो सकता लेकिन उसकी विस्थापन शून्य हो सकता है |

अदिश राशि सदीश राशि 
*  वैसी राशि जिसको व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है , दिशा की नही उस राशि को adish राशि कहते है | जैसे _ दूरी, चल , ऊर्जा ,समय , विद्युत धारा , ताप इत्यादि |*  वैसी भौतिक राशि जिसको व्यक्त करने के लिए दिशा और परिमाण दोनो की आवश्यकता होती है ,उसे सदिश राशि कहते है | जैसे _ विस्थापन , वेग, बल , त्वरण संवेग , कोणीय संवेग इत्यादि |

>>>>>चाल किसे कहते है <<<<<

* किसी वस्तु द्वारा प्रति इकाई समय में तय किया गया दूरी को चल कहते है |चाल किसी वस्तु को यह दर्शाता है की वह वस्तु कितनी तेज चल रहा है ,या अभी वह विराम अवस्था में है|

चाल = दूरी/समय , या v = s/t , चाल का SI मात्रक m/s होता है |

* किसी भी वहां में उसकी चाल को मापने हेतु speedometer का प्रयोग किया जाता है ,लेकिन उस वाहन द्वारा तय किया गया दूरी को मापने के लिए , ओडोमीटर का प्रयोग किया जाता है |

* किसी वस्तु द्वारा तय किया गया औसत चाल = वस्तु द्वारा तय किया गया कुल दूरी / दूरी तय करने में लगा कुल समय

अगर कोई भी दो वस्तु जिनकी चाल अलग अलग है लेकिन उन दोनो ने अंतिम बिंदु तक एक निश्चित समय अंतराल में एक निश्चित दूरी को तय करता है तो ,वह एकसमन चाल कहलाता है ,लेकिन समान समय अंतराल में दोनो के द्वारा तय किया गया दूरी अलग अलग है तो यह कहा जाता है की उनकी चाल आसमान है |

** वेग किसे कहते है **

वेग वह भौतिक राशि है जो ,किसी गतिमान वस्तु की चाल एवम दिशा दोनो प्रदर्शित करता है |और वस्तु द्वारा प्रति इकाई समय में तय किया गया दूरी को बतलाता है |

** वेग = दी हुई दिशा में चली गई दूरी / वस्तु द्वारा लिया गया समय

** दी हुई दिशा में चली गई कुल दूरी को  विस्थापन कहते है . विस्थापन = वेग * समय

वेग का SI मात्रक m/s होता है |

** जब कोई वस्तु एक सीधी रेखा में गमन कर रहा होता है तब उसका वेग और चाल दोनो बराबर होता है ,लेकिन अगर दोनो अलग अलग दिशा में गमन कर रहा होता है ,तब उसका चाल और वेग बराबर नहीं होता है |

किसी भी गतिमान वस्तु का औसत चाल कभी भी शून्य नही हो सकता है ,लेकिन औसत वेग शून्य हो सकता है |

,<<<<<<<त्वरण किसे कहते है | >>>>>>>

त्वरण से तात्पर्य यह है की ,क्षण भर में किसी वस्तु का वेग कभी बढ़ जाना या घाट जाना |,अर्थात किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को ही त्वरण कहते है |

त्वरण= वेग में परिवर्तन / वेग परिवर्तन होने में लगा समय

किसी वस्तु का वेग परिवर्तन = अंतिम वेग - प्रारम्भिक वेग

त्वरण= अंतिम वेग -प्रारंभिक वेग / समय ,   a = v-u/t

*** इन्हे भी पढ़े ;- 

चंद्रयान-5 (LUPEX) मिशन: भारत-जापान की अंतरिक्ष साझेदारी, भारत का महत्वपूर्ण मिशन |

त्वरण का SI मात्रक = m/s square

* अगर कोई वस्तु एक समान चाल से चल रहा होता है तो उसका त्वरण शून्य होता है |

* वस्तु का वेग अगर बढ़ता है तो त्वरण धनात्मक और अगर वस्तु का वेग घटता है तो वस्तु का वेग ऋणात्मक होता है |
* ऋणात्मक त्वरण को ही मंदन कहा जाता है |

अगर कोई वस्तु एक सीधी रेखा में चल रहा है ,और समान समय अंतराल के साथ उसका वेग समान दर से बढ़ रहा है ,तो वस्तु में एक समान त्वरण माना जाता है |जैसे -01.किसी ऊंची स्थान से स्वतंत्र रूप से गिरती हुई वस्तु 02. जब कोई साइकल चालक किसी ढलान पर बिना पैदल चलाए ढलता जय 03. समतल से नीचे की ओर लुढ़कता गेंद इत्यादि >

>> अगर समान समय अंतराल में किसी वस्तु का वेग आसमान तरीके से  परिवर्तित होता है तो वस्तु में असमान त्वरण होगा |, उदाहरण = भीड़ वाली स्थान पर मोटरसाइकल की गति |

>>> त्वरण= अंतिम वेग - प्रारंभिक वेग / लिया गया समय , a = v - u / t

>>> v = वस्तु का अंतिम वेग , u = वस्तु का प्रारंभिक वेग , t = समय
>>> वस्तु का अंतिम वेग (v) = u + at
>>> किसी वस्तु का औसत वेग = प्रारम्भिक वेग + अंतिम वेग /2
>> वस्तु द्वारा तय किया गया दूरी (s) = ut + 1/2 at square

note :  *  यदि वस्तु विराम से चलना शुरू करता है , तब उसका प्रारंभिक वेग शून्य होता है , और अगर वस्तु गति   करते हुए विराम में आ जाता है , तब उसका अंतिम वेग शून्य होता है ,और अगर वस्तु एकसमान चाल गतिशील है तो उसका त्वरण शून्य होता है |

<<<<बल किसे कहते है |>>>>

** किसी वस्तु को विराम अवस्था से गतिमान अवस्था में लाने हेतु उसपर जो बाहरी दबाव या खीचाव का प्रयोग किया जाता है ,उसे ही हम बल कहते है | उदाहरण = टेबल पर रखी पानी की गिलास को उठाना , खड़ी गाड़ी को धक्का देकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचना ,इत्यादि |


** किसी वस्तु पर कोई व्यक्ति बल लगता है और उस वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है ,तब उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा उस पर लगाया गया बल शून्य कहलाता है ,अर्थात हम यह कह सकते है की जबतक हम किसी वस्तु पर बाह्य दबाव /खीचाव का प्रयोग करके उसकी स्थिति या दिशा में परिवर्तन नहीं कर देते , तब तक बल का मान शून्य होता है |

*** किसी वस्तु पर बाल लगाने से उस पांच प्रकार का प्रभाव डाला जा सकता है : 

01. किसी स्थिर वस्तु को बाल लगाकर उसे गति में लाया जा सकता है |
02. गतिशील वस्तु को विराम में लाया जा सकता है |
03.किसी गतिशील वस्तु को उसके चाल में परिवर्तन किया जा सकता है |
04.किसी गतिशील वस्तु की दिशा को बदला जा सकता है |
05. बल लगाकर किसी वस्तु की आकृति को बदला सकता है |

इस प्रकृति में सभी घटनाए किसी न किसी बाल के करना ही होना संभव है ,बिना बल के कोई भी घटना का होना संभव नहीं है |

* प्रकृति में मुख्य रूप से चार बलो का स्तित्व मौजूद है :
     01. गुरुत्वाकर्षण बल 
     02. विद्युत चुम्बकीय बल 
     03. न्यूक्लियर बल 
     04. दुर्बल या मंद बल 

गुरुत्वाकर्षण बल :
* किन्ही दो वस्तुओं के बीच उनमें मौजूद द्रव्यमान के कारण लगने वाले बाल को , गुरुत्वीय बल कहते है | ब्रह्मांड में जितने भी तारे है ,उन सभी के निर्माण में गुरूत्वीय बाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | गुरूत्वीय बल के निम्न कारण है : 
01. गुरुत्वाकर्षण बल के अंदर हमेशा आकर्षण बल होता है |
02. किसी भी वस्तु के अंदर गुरूत्वीय बल का मान उसके द्रवमान पर निर्भर करती है ,जिस वस्तु का द्रव्यमान काम होता है ,उस वस्तु का गुरूत्वीय मान काम ,और जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक होता है उस वस्तु का गुरूत्वीय मान अधिक होता है |
03. गुरूत्वीय बल का कार्य दूरी बहुत अधिक होता है |
04. इस बल को केंद्रीय बल के नाम से भी जाना जाता है ,क्युकी ,यह बल वस्तु के केंद्र को मिलाने का केरी करता है |
05. गुरुत्वाकर्षण बल की खोज " न्यूटन " के द्वारा किया गया था |
विद्युत चुम्बकीय बल .
* किन्ही दो वस्तुओं के बीच आवेश के कारण लगने वाले बाल को विद्युत आवेश बाल कहते है |
* इस बल में आकर्षण और विकर्षण दोनो बाल मौजूद रहता है |
* यह बल कुलंब के नियम पर आधारित है |
* यह बल भी गुरुत्वाकर्षण बल की तरह एक केंद्रीय बल है |
* यह बल गुरुत्वाकर्षण बल से लगभग (10 के पावर 36 ) गुना अधिक शक्तिशाली और दुर्बल बाल से 10 गुना अधिक शक्तिशाली है |
न्यूक्लियर बल : 
* किसी भी परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाले प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के बीच लगने वाले बाल को न्यूक्लियर बल कहते है |
* न्यूक्लियर बल को प्रकृति में उपस्थित सभी बलो में सबसे अधिक शक्तिशाली बाल माना जाता है |यह बल गुरुत्वाकर्षण बल भी 100 गुना अधिक शक्तिशाली होता है |और विद्युत चुम्बकीय बल से 100 गुना अधिक शक्तिशाली होता है |तथा ,यह बल दुर्बल बाल से 10 के पावर 13 गुना अधिक शक्तिशाली होता है |
* यह गुरुत्वाकर्षण और विद्युत चुम्बकीय बल के जैसा केंद्रीय बल नहीं है बल्कि यह एक अकेंद्रीय बल है |

NOTE : यह बल परमाणु के नाभिक पर पाए जाने वाले आवेश पर निर्भर नहीं करता है |

दुर्बल या मंद बल 
जब किसी परमाणु के नाभिक में इलेक्ट्रॉन ,प्रोटीन ,और न्यूट्रॉन, आपस में प्रतिक्रिया करते है ,तब उसमे से पॉजिट्रॉन और एंटी न्यूट्रिनो जैसे कण उत्सर्जित होते है ,,इन्ही अतिरिक्त कण का उत्सर्जन इन दुर्बल बल के कारण होता है |
* इस बल का विस्तार बहुत कम होता है ,इसका विस्तार प्रोटीन और न्यूट्रॉन के भीतर ही होता है |
* यह बल गुरुत्वाकर्षण बल से 10 के पावर 35 गुणा अधिक शक्तिशाली होता है |

संतुलित बाल और असंतुलित बाल किसे कहते है |

* अगर किसी वस्तु पर लगने वाला बाल का परिणामी मान शून्य होता है तो ,उस बल को संतुलित बल कहते है |
* जब यह बल लगता है तो वस्तु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है |

असंतुलित बल : जब किसी वस्तु पर लगने वाला बाल शून्य नही होता है तो ,वह बल असंतुलित बल कहलाता है |

* जब किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगता है तो उस वस्तु की आकार ,स्थिति ,में परिवर्तन हो जाता है |

न्यूटन के प्रथम गति नियम : 
न्यूटन के प्रथम गति के नियम से "जडत्व " की परिभाषा मिलती है |न्यूटन का प्रथम गति नियम यह कहता है की ,अगर कोई वस्तु विराम अथवा गति में है तो वह तबतक विराम अथवा गति में रहना चाहता है जबतक की ,उसपर कोई बाहरी बल न लगाया जाय | 
* न्यूटन के प्रथम गति नियम ,गैलीलियो के" जडत्व " के नियम के ही समान है ,इस लिए इस नियम को जड़त्व का नियम भी कहते है |

जड़त्व का नियम क्या है ?
जड़त्व किसी वस्तु का वह गुण है ,जिसके कारण स्थिर वस्तु स्थिर और गतिशील वस्तु गतिशील रहना चाहता है |
जड़त्व वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है ,जिस वस्तु का द्रव्यमान कम होता है ,उस वस्तु का जड़त्व कम और जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक  होता हैं ,उस वस्तु का जड़त्व अधिक होता है |
" जड़त्व के गुण " और उसके प्रकार "
* स्थिर जड़त्व के कारण वस्तु हमेशा स्थिर ही रहना चाहता है ,जब तक की उसपर कोई बाह्य बाल ना लगाया जाय |जब गाड़ी अचानक आगे बढ़ता है तो सवारी पीछे की तरफ गिर जाता है |
* गति जड़त्व के कारण वस्तु हमेशा गति में ही रहना चाहता है ,जब तक की उस पर कोई बाह्य बाल का प्रयोग न हो | चलती गाड़ी में बैठा व्यक्ति ब्रेक लगाने पर आगे की ओर झुक जाना |
* दिशा जड़त्व के कारण वस्तु हमेशा अपनी दिशा में ही रहना चाहता है ,उदाहरण : टायर में फसा कीचड़ "

* न्यूटन के प्रथम गति के नियम से बल और जड़त्व की परिभाषा मिलती है |,अर्थात बल वह भौतिक कारण है ,जो किसी वस्तु पर लगाकर उसकी विराम अथवा गति अवस्था में परिवर्तन लाता है |या लेन की चेष्टा करता है |

* न्यूटन के प्रथम नियम ,या जड़त्व के उदाहरण :
    01. बस या रेलगाड़ी के अचानक चलने से उसमें खड़ा यात्री पीछे की ओर गिर जाता है |
    02. कंबल या स्वेटर को तेजी से झटकने या उसे डंडे से मरने पर उसमे से धूल कण नीचे गिर जाता है |
    03. किसी पेड़ को हिलाने पर उसके पत्ते और फल का गिरना |
    04. चलती हुई गाड़ी पर ब्रेक लगाने से सवारी अचानक आगे की ओर गिर जाता है |
    05. दौड़ता हुआ व्यक्ति अचानक रुक नहीं सकता है |

* संवेग * 

* वस्तु के गति एवम उसके द्रव्यमान के गुणनफल को संवेग कहते है ,

* अगर वस्तु गति में न होकर विराम में हो तो उसका संवेग शून्य होता है |
संवेग = द्रव्यमान × वेग 
p = mv

न्यूटन के गति का दूसरा नियम : 

* किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर को उस पर लगाए जाने वाले बाल के समानुपति है ,तथा यह परिवर्तन ,बल की दिशा में होता है |
* न्यूटन का दूसरा गति का नियम ,संवेग और बल के बीच संबंध को बतलाता है |और इसी संबंध से बल का व्यंजन प्राप्त होता है |
* बल = द्रव्यमान × त्वरण 
F = ma 
* बल का SI मात्रक: kgm/s square होता है |इसे न्यूटन के सम्मान में न्यूटन कहा जाता है |
* न्यूटन के दूसरे गति नियम का उदाहरण :
    01. कराटे की खिलाड़ी द्वारा एक ही प्रहार से ईट के समूह को तोड़ देना |
     02.कच्चे फर्स पर गिरने से चोट कम लगता है और पक्के पर गिरने से अधिक चोट लगता है |
     03.खिलाड़ी कैच लेते समय अपने हाथ को पीछे लेता है |

न्यूटन गति का तीसरा नियम : 

* जब कभी एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बाल लगती है ,तब दूसरी वस्तु भी पहले वस्तु पर उतना ही बाल आरोपित करती है |पहले द्वारा लगाए गए बल को क्रिया ,और दूसरे द्वारा लगाए गए बल को प्रतिक्रिया कहते है |
* अर्थात प्रत्येक क्रिया के बराबर विपरीत प्रतिक्रिया को न्यूटन का तीसरा नियम कहते है |
उदाहरण : 
     01. नाव में बैठा व्यक्ति जब कूदता है तो नाव पीछे की ओर जाता है |
     02. वायुयान का उड़ना ,
      03. मनुष्य का जमीन पर चलना या टहलना ,
      04. पानी में तैरना ,

संवेग संरक्षण का नियम : 

>>> जब दो या दो से अधिक वस्तु एक दूसरे के ऊपर कार्य करती है ,तो उसका सम्पूर्ण संवेग स्थिर रहता है ,जबतक की उसपर कोई बाहरी बल न लगाया जाय |

>>> संवेग को कभी भी उत्पन्न या नष्ट नही किया जा सकता है |
>>> अगर कोई वस्तु किसी दूसरे वस्तु से टकराता है तो ,टकराने से पहले और बाद दोनो समय संवेग बराबर होता है |
>>> रॉकेट और वायुयान संवेग संरक्षण के सिद्धांत पर ही हवा में उड़ता है |
>>> गोली चलने से पहले गोली और बंदूक का कुल संवेग शून्य हो जाता है ,,क्युकी जब गोली चलती है तो ,बंदूक पीछे की ओर धक्का देती है |इसका कारण है की दोनो के बीच संवेग जीरो हो जाता है |
>>> जब किसी हवा से भरा गुब्बारा में छेद होता है ,तो उसमें से हवा तेजी से बाहर निकल जाता है |

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