अभिमन्यु मिश्रा: मौजूदा विश्व चैम्पियन पर विजय पाने वाले सबसे युवा ग्रैंडमास्टर
शतरंज का प्रारंभ और विकास
शतरंज का आरंभ लगभग छठी से सातवीं शताब्दी के आसपास भारत में हुआ माना जाता है, जब इसे चतुरंग के रूप में खेला जाता था।
यह खेल 8x8 चौकोर बिसात (बोर्ड) पर खेला जाता था, जिसमें हर खिलाड़ी के पास 16 मोहरे होते थे।
बाद में यह खेल फारस (ईरान) पहुंचा, जहां इसे "शतरंज" नाम मिला। फारसियों ने इसे लोकप्रिय बनाया और जहाँ "शाह" शब्द राजा के लिए इस्तेमाल हुआ, वहीं "मात" का मतलब होता है हार जाना।
अरब विजेताओं ने इसे अरब देशों में फैलाया और फिर उत्तरी अफ़्रीका और यूरोप होते हुए यह पूरे विश्व में फैल गया।
यूरोप और आधुनिक शतरंज का विकास
यूरोप में शतरंज का आधुनिक स्वरूप 15वीं शताब्दी के अंत में विकसित हुआ।
इस दौरान मोहरों की चाल, खेल के नियमों और रणनीतियों में काफी बदलाव किए गए, जिससे अब का शतरंज आया।
19वीं शताब्दी में संगठित टूर्नामेंट्स शुरू हुए और 1886 में पहला आधिकारिक विश्व शतरंज चैंपियनशिप भी आयोजित हुआ।
शतरंज के महत्व और प्रभाव
शतरंज न केवल एक खेल है, बल्कि विज्ञान, गणित और मनोविज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी इसका अध्ययन होता है।
भारत में बोद्धिक खेल के रूप में शतरंज को विशेष स्थान मिला है।
वर्तमान में यह विश्व भर में एक लोकप्रिय खेल है, जिसका नियंत्रण फीडे (FIDE) करता है।
शतरंज की शुरुआत भारत से होकर फारस और फिर अरब तथा यूरोप में पहुंची, जहाँ इसका आधुनिक स्वरूप विकसित हुआ। इस खेल ने सदियों से राजसी दरबारों से लेकर आधुनिक प्रतियोगिताओं तक अपनी जगह बनाई है और यह लगातार बुद्धिमत्ता, रणनीति और कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देता रहा है।
भारत शतरंज के क्षेत्र में विश्वस्तरीय शक्ति बन चुका है और हाल के वर्षों में भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
अभिमन्यु मिश्रा के चैंपियन बनने के पीछे की कहानी "
शतरंज की दुनिया में 16 वर्षीय भारतीय मूल के अमेरिकी खिलाड़ी अभिमन्यु मिश्रा ने नया इतिहास रच दिया है। उन्होंने 8 सितम्बर 2025 को समरकंद (उज़्बेकिस्तान) में आयोजित फाइड ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट 2025 में मौजूदा विश्व चैम्पियन डी. गुकेश को हराकर रिकॉर्ड बना दिया। यह उपलब्धि उन्हें न केवल अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में लेकर आई बल्कि भारतीय समुदाय और वैश्विक शतरंज प्रेमियों के लिए गर्व का विषय भी बनी। source: Wikipedia
इस जीत को अभिमन्यु मिश्रा की ऐतिहासिक जीत माना जा रहा है |
मैच 61 चालों तक चला और इसमें गुकेश की 12वीं चाल की एक छोटी सी ग़लती निर्णायक साबित हुई।
अभिमन्यु ने इस मौके का फायदा उठाकर खेल को अपने पक्ष में मोड़ दिया।
इस जीत के साथ मिश्रा इतिहास में सबसे कम उम्र (16 वर्ष) के खिलाड़ी बन गए, जिन्होंने किसी मौजूदा विश्व चैम्पियन को क्लासिकल शतरंज में हराया।
इससे उन्होंने गाटा काम्स्की का 33 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। काम्स्की ने वर्ष 1992 में 17 साल की उम्र में गैरी कास्पारोव को पराजित किया था।
शुरुआती उपलब्धियाँ और नए रिकॉर्ड
सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल मास्टर (2019):
केवल 10 वर्ष, 9 माह और 20 दिन की उम्र में यह खिताब हासिल किया।
सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर (2021):
12 वर्ष, 4 माह और 25 दिन में बुडापेस्ट (हंगरी) में यह खिताब मिला।
इससे उन्होंने रूस के सेर्गेई कार्याकिन का 19 साल पुराना रिकॉर्ड पीछे छोड़ा।
मौजूदा विश्व चैंपियन को हराने वाले सबसे युवा खिलाड़ी (2025):
16 वर्ष की उम्र में डी. गुकेश पर ऐतिहासिक जीत।
पारिवारिक और व्यक्तिगत पृष्ठभूमि
जन्मतिथि: 5 फरवरी 2009
जन्मस्थान: न्यू जर्सी, अमेरिका
पिता: हेमंत मिश्रा (भोपाल से, एम.टेक – माणित भोपाल)
माता: स्वाति मिश्रा (आगरा से)
भाई-बहन: रिधिमा नाम की बहन
शतरंज की शुरुआत और प्रशिक्षण
2 वर्ष 8 महीने की उम्र में शतरंज से परिचय हुआ। माता-पिता ने उन्हें डिजिटल स्क्रीन की लत से बचाने के लिए इस खेल को प्रोत्साहित किया।
5 साल की उम्र से ही टूर्नामेंट खेलना शुरू किया।
भारतीय ग्रैंडमास्टर्स अरुण प्रसाद सुब्रमणियन और magesh चंद्रन ने उनके खेल को व्यवस्थित प्रशिक्षण देकर निखारा।
वर्तमान स्थिति (2025)
फाइड क्लासिकल रेटिंग: 2611
लाइव रेटिंग (ग्रैंड स्विस 2025 के बाद): 2637.2
विश्व रैंकिंग (लाइव): 94वीं, पहली बार टॉप-100 खिलाड़ियों में प्रवेश।
परीक्षा दृष्टिकोण
यह घटना वैश्विक खेलों में भारतीय मूल के खिलाड़ियों के प्रभाव को दर्शाती है।
खेल उपलब्धियों से संबंधित प्रश्न अक्सर UPSC प्रीलिम्स और स्टेट PCS में पूछे जाते हैं, जैसे:
"सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर कौन हैं?"
"किस भारतीय मूल के खिलाड़ी ने पहली बार मौजूदा विश्व शतरंज चैम्पियन को पराजित किया?"
इसके अतिरिक्त यह उदाहरण खेल कूटनीति (sports diplomacy) और भारतीय diaspora से जुड़ा अध्ययन बिंदु भी प्रदान करता है।
डी. गुकेश की शतरंज यात्रा, सफलता और उनके जीते हुए पदक इस प्रकार हैं:
गुकेश की प्रारंभिक यात्रा
गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। उन्होंने 7 वर्ष की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया, जब उनके स्कूल के शिक्षक द्वारा उन्हें शतरंज से परिचित करवाया गया।
पहला कोच श्री भास्कर थे, जिन्होंने उन्हें जल्दी ही फिडे रेटिंग दिलवाई। बाद में ग्रैंडमास्टर विष्णु प्रसन्ना ने उनके खेल को एक नई दिशा दी।
2015 में 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने एशियाई स्कूल शतरंज चैम्पियनशिप में अंडर-9 खिताब जीता।
2018 में उन्होंने विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप में अंडर-12 वर्ग की ट्रॉफी अपने नाम की और एशियाई युवा चैम्पियनशिप में पांच स्वर्ण पदक जीते (कलासिकल, रैपिड, ब्लिट्ज़, और टीम इवेंट्स में)।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ और पदक
15 जनवरी 2019 को केवल 12 वर्ष, 7 माह की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने—भारत के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर।
2023 में उन्होंने दुनिया की दुनिया में शीर्ष 5 रैंकिंग में प्रवेश किया और भारत के टॉप पर रहकर विश्व के विजेता विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड तोड़ा।
2024 में टाटा स्टील टूरनामेंट में टाई करने के बाद, उन्होंने कैन्डिडेट्स टूर्नामेंट जीता और विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई किया।
2024 के विश्व शतरंज चैम्पियनशिप में चीन के रेखचित विजेता डिंग लिरेन को 7.5-6.5 के स्कोर से हराकर सबसे कम उम्र (18 वर्ष) के विश्व चैम्पियन बने।
2024 में बुडापेस्ट में हुए शतरंज ओलम्पियाड में टीम इंडिया को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। पहली बोर्ड पर खेलकर 10 में से 9 अंक जुटाए और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता।
2022 और 2023 में कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक और खिताब जीते, जिनमें डेनमार्क और फ्रांस में टूर्नामेंट जीत शामिल हैं।
पदक और टूर्नामेंट सारांश
अंडर-9 एशियन स्कूल चैम्पियनशिप (2015): स्वर्ण
विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप अंडर-12 (2018): स्वर्ण
एशियाई युवा चैम्पियनशिप (2018): पांच स्वर्ण पदक (विभिन्न फॉर्मेट)
ग्रैंडमास्टर खिताब (2019)
जूलियस बायर चैलेंजर्स टूर (2021): विजेता
कैन्डिडेट्स टूर्नामेंट (2024): विजेता
शतरंज ओलम्पियाड (2024): टीम स्वर्ण और व्यक्तिगत स्वर्ण
फिडे विश्व शतरंज चैम्पियनशिप (2024): विश्व चैम्पियन
डी. गुकेश की सफलता उनके कठिन अभ्यास, उत्कृष्ट कोचिंग, और मानसिक दृढ़ता का परिणाम है। वे न केवल भारत के इतिहास में बल्कि विश्व शतरंज के मंच पर भी नई मिसाल बने हैं। उनके अर्जित पदक और खिताब युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं जो खेल क्षेत्र में उत्कृष्टता की चाह रखते हैं।
भारत की वर्तमान स्थिति
भारत में अब तक 85 से अधिक ग्रैंडमास्टर (GM), 124 अंतरराष्ट्रीय मास्टर (IM), और 23 महिला ग्रैंडमास्टर्स (WGM) हैं।
अंतरराष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) ने भारत को वैश्विक शतरंज महाशक्ति के रूप में मान्यता दी है।
2025 में गोवा में आयोजित होने वाले फीडे शतरंज विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी कर भारत ने अपनी क्षमता और प्रतिष्ठा को और मजबूत किया है।
भारत के शीर्ष खिलाड़ी जैसे डी. गुकेश, प्रग्नानंदा, और अरजुन एरिगैसी ने विश्व रैंकिंग में उच्च स्थान हासिल किए हैं।
भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ
डी. गुकेश 18 वर्ष की उम्र में विश्व शतरंज चैम्पियन बने।
अभिमन्यु मिश्रा ने 16 वर्ष की आयु में मौजूदा विश्व चैम्पियन गुकेश को हराकर नया रिकॉर्ड बनाया।
प्रग्नानंदा ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट अपने नाम किए और दुनिया के टॉप खिलाड़ियों में शामिल हैं।
टीम इंडिया ने 2024 में शतरंज ओलम्पियाड में टीम स्वर्ण पदक जीता, जो एक बड़ी वैश्विक उपलब्धि मानी जाती है।
महिला वर्ग में दिव्या देशमुख ने फीडे महिला विश्व कप 2025 जीता, भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए यह गौरव की बात है।
भारत द्वारा जीते गए प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और पदक
शतरंज ओलम्पियाड 2024 (बुडापेस्ट, हंगरी):
भारत ने पुरुष और महिला दोनों टीमों के साथ डबल स्वर्ण पदक जीता।
पुरुष टीम में डी. गुकेश, आर. प्रज्ञानंदा और अर्जुन एरिगैसी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
टीम के सदस्यों को व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी मिले।
विश्व शतरंज चैम्पियनशिप 2024:
डी. गुकेश ने 18 वर्ष की उम्र में विश्व चैम्पियनशिप जीती, जो भारतीय शतरंज इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि है।
उज़्बेकिस्तान में फीडे वर्ल्ड कैडेट शतरंज कप 2025:
भारत ने इस टूर्नामेंट में 7 पदक जीतकर अपनी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत की।
UzChess Cup 2025 मास्टर्स टूर्नामेंट:
रमैशरबू प्रज्ञानंदा विजेता रहे और $20,000 की पुरस्कार राशि जीती।
टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट 2025:
अर्जुन एरिगैसी इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के विजेता बने।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान:
विश्वनाथन आनंद को पद्म विभूषण, पद्म भूषण, अर्जुन पुरस्कार और राजीव गांधी खेल रत्न जैसे पुरस्कार मिल चुके हैं।
अन्य ग्रैंडमास्टर्स और महिला ग्रैंडमास्टर्स ने भी अर्जुन पुरस्कार और राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किए हैं।
सारांश
भारत ने हाल के वर्षों में शतरंज के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फ्रंट्स पर दमदार प्रदर्शन किया है। टीम और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर लगातार पदक और पुरस्कार जीतकर भारत विश्व की शतरंज महाशक्तियों में गिना जाता है। इससे देश की खेल विरासत और युवाओं में शतरंज के प्रति रुचि को बढ़ावा मिला है।
भारत की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय शतरंज जीतें इस प्रकार हैं:
डी. गुकेश का विश्व शतरंज चैम्पियनशिप जीतना (2024):
18 वर्ष की उम्र में डी. गुकेश विश्व शतरंज चैम्पियन बने, जो भारतीय शतरंज इतिहास में सबसे बड़ी व्यक्तिगत उपलब्धि मानी जाती है। उन्होंने इस खिताब को जीतकर भारत को विश्व मंच पर शतरंज में शीर्ष स्थान दिलाया।शतरंज ओलम्पियाड 2024 में भारत की डबल स्वर्ण पदक जीत:
भारत ने बुडापेस्ट (हंगरी) में आयोजित शतरंज ओलम्पियाड 2024 में पुरुष और महिला दोनों टीमों के साथ स्वर्ण पदक जीते। यह भारत की टीम शतरंज में ऐतिहासिक उपलब्धि थी।प्रग्नानंदा के कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतना:
आर. प्रग्नानंदा ने 2025 में यूजचेस कप मास्टर्स सहित कई बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते, जो भारत की जीतों में शामिल हैं।अर्जुन एरिगैसी की टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट जीत (2025):
यह जीत भी भारत की अंतरराष्ट्रीय शतरंज स्थिति मजबूत करने वाली बड़ी सफलता थी।फीडे वर्ल्ड कैडेट शतरंज कप में भारत की पदक सफलता (2025):
इस टूर्नामेंट में भारत ने 7 पदक जीतकर युवा प्रतिभाओं की ताकत दिखाई।
इन जीतों ने भारत को विश्व शतरंज के पटल पर उच्च सम्मान दिलाया है और भारतीय शतरंज खिलाड़ियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती का परिचय दिया है।
निष्कर्ष
भारत की शतरंज क्षेत्र में प्रगति तेज़ और लगातार है। युवा प्रतिभाओं के उदय और बड़ी प्रतियोगिताओं की मेजबानी के कारण भारत की विश्व स्तर पर स्थिति मजबूत हो रही है। यह खेल अब भारत के लिए महज एक खेल नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय गौरव का विषय बन चुका है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने शतरंज के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और पदक जीते हैं, जो देश की गहरी खेल संस्कृति और बढ़ती प्रतिभा को दर्शाते हैं।
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