जस्टिस एम. सुंदर की मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति: प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक मार्गदर्शिका
परिचय: न्यायपालिका और नेतृत्व का महत्व
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका का स्थान सर्वोच्च संस्थाओं में से एक है। उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय न केवल संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हैं, बल्कि समाज में कानून के शासन (Rule of Law) और न्याय की निष्पक्षता को भी बनाए रखते हैं। ऐसे समय में जब मणिपुर जैसे राज्य गंभीर सामाजिक और जातीय संकट से गुजर रहा हो, वहाँ न्यायपालिका का नेतृत्व और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
इसी परिप्रेक्ष्य में, 15 सितम्बर 2025 को न्यायमूर्ति एम. सुंदर (Justice M. Sundar) ने मणिपुर उच्च न्यायालय के 10वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनकी नियुक्ति को केवल एक प्रशासनिक बदलाव के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि यह एक ऐसे संवेदनशील राज्य में न्यायपालिका की साख को पुनर्स्थापित करने का अवसर भी है।
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मणिपुर उच्च न्यायालय में न्यायिक नेतृत्व का नया अध्याय
मणिपुर उच्च न्यायालय अपेक्षाकृत नया न्यायिक संस्थान है, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी भूमिका काफी चुनौतीपूर्ण रही है। राज्य में 2023 से चल रही जातीय हिंसा ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था बल्कि न्यायिक प्रतिष्ठा को भी प्रभावित किया। विशेष रूप से 2023 में उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया विवादास्पद आदेश, जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी, बड़े पैमाने पर अशांति का कारण बना।
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ऐसे समय में, जस्टिस सुंदर की नियुक्ति को “संस्थागत स्थिरता और विश्वसनीयता” बहाल करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। उनके पास दीर्घकालीन न्यायिक अनुभव और मद्रास उच्च न्यायालय की पृष्ठभूमि है, जो मणिपुर के लिए निष्पक्ष और संतुलित नेतृत्व सुनिश्चित कर सकती है।
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जस्टिस एम. सुंदर: जीवन और करियर की पृष्ठभूमि
जन्म और शिक्षा
जन्म: 19 जुलाई 1966, चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ |
शिक्षा: मद्रास लॉ कॉलेज से पाँच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स (पहला बैच) से प्राप्त किया |
अधिवक्ता के रूप में करियर
वर्ष 1989 में अधिवक्ता के रूप में उन्होंने पंजीकरण कराया और ।
लगभग दो दशकों तक मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस किए ।
मुख्य रूप से सिविल मामलों की सुनवाई में विशेषज्ञता।
2003-2006 तक तमिलनाडु सरकार के TWAD बोर्ड (Tamil Nadu Water Supply and Drainage Board) के स्थायी वकील।
न्यायिक करियर
5 अक्टूबर 2016 को मद्रास उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए ।
मद्रास HC में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए।
2025 में उन्होंने मद्रास राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष बने।
मणिपुर स्थानांतरण से पहले, वे मद्रास HC के द्वितीय वरिष्ठतम न्यायाधीश के पद पर भी रहे है ।
भ्रम से बचाव
परीक्षाओं में अक्सर उम्मीदवार जस्टिस एम. सुंदर और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश (Supreme Court Judge) में भ्रमित हो जाते हैं। यह स्पष्ट करना जरूरी है कि ये दोनों अलग-अलग न्यायाधीश हैं। इस लेख में जिक्र जस्टिस एम. सुंदर का है, जिन्होंने 15 सितम्बर 2025 को मणिपुर HC के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला।
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नियुक्ति प्रक्रिया: संवैधानिक और संस्थागत ढांचा
भारतीय संविधान के प्रावधान
अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित।
अनुच्छेद 219: न्यायाधीशों की शपथ।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की भूमिका
भारत में न्यायाधीशों की नियुक्ति सीधे संसद द्वारा पारित किसी कानून से नियंत्रित नहीं होती, बल्कि सेकंड जजेज केस (1993) और थर्ड जजेज केस (1998) में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर कॉलेजियम प्रणाली के अंतर्गत होती है।
कॉलेजियम संरचना: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) + सुप्रीम कोर्ट के 2 वरिष्ठतम न्यायाधीश।
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रस्ताव CJI द्वारा आरंभ।
जस्टिस सुंदर की नियुक्ति प्रक्रिया (Step by Step)
11 सितम्बर 2025: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश।
13 सितम्बर 2025: केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति।
15 सितम्बर 2025: राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा शपथ ग्रहण।
यह तेज प्रक्रिया इस तथ्य को दर्शाती है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों ने सुनिश्चित किया कि सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश (जस्टिस केम्पैया सोमाशेखर, 14 सितम्बर 2025) के तुरंत बाद नया नेतृत्व उपलब्ध हो।
मणिपुर का सामाजिक संदर्भ और न्यायपालिका की चुनौती
जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि
3 मई 2023 से मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच संघर्ष।
सरकारी आंकड़े: 258 मौतें, 60,000 विस्थापित।
मूल कारण: 14 अप्रैल 2023 को HC आदेश (मैतेई को ST दर्जा देने की सिफारिश)।
न्यायपालिका की भूमिका
HC आदेश ने विरोध और हिंसा को जन्म दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर CBI और अन्य राज्यों के अधिकारियों को जांच सौंपी।
गीता मित्तल समिति का गठन राहत और पुनर्वास की निगरानी हेतु।
जस्टिस सुंदर की चुनौतियाँ
3,300+ लंबित मामलों का निपटारा।
न्यायपालिका की विश्वसनीयता पुनः स्थापित करना।
संस्थागत निष्पक्षता बनाए रखना।
सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता के बीच Rule of Law लागू करना।
परीक्षाओं हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Key Facts for Exams)
नियुक्त मुख्य न्यायाधीश: जस्टिस एम. सुंदर
पिछला पद: मद्रास HC न्यायाधीश
नियुक्ति तिथि (राष्ट्रपति): 13 सितम्बर 2025
शपथ ग्रहण: 15 सितम्बर 2025
शपथ दिलाने वाले: राज्यपाल अजय कुमार भल्ला
पूर्ववर्ती: जस्टिस केम्पैया सोमाशेखर (सेवानिवृत्त 14 सितम्बर 2025)
संविधान अनुच्छेद: 217 और 219
संभावित MCQs (Practice for Exams)
प्रश्न 1: जस्टिस एम. सुंदर ने मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कब शपथ ली?
(a) 13 सितम्बर 2025
(b) 15 सितम्बर 2025
(c) 14 सितम्बर 2025
(d) 11 सितम्बर 2025
✅ उत्तर: (b) 15 सितम्बर 2025
प्रश्न 2: मणिपुर के राज्यपाल का नाम बताइए जिन्होंने जस्टिस सुंदर को शपथ दिलाई।
(a) द्रौपदी मुर्मू
(b) अजय कुमार भल्ला
(c) पुनीत कुमार गोयल
(d) केम्पैया सोमाशेखर
✅ उत्तर: (b) अजय कुमार भल्ला
प्रश्न 3: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किस अनुच्छेद के तहत होती है?
(a) अनुच्छेद 124
(b) अनुच्छेद 217
(c) अनुच्छेद 226
(d) अनुच्छेद 32
✅ उत्तर: (b) अनुच्छेद 217
प्रश्न 4: गीता मित्तल समिति का गठन किस उद्देश्य से किया गया था?
(a) NIA की जांच निगरानी हेतु
(b) मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास हेतु
(c) चुनाव सुधार हेतु
(d) संविधान संशोधन हेतु
✅ उत्तर: (b) मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास हेतु
निष्कर्ष
जस्टिस एम. सुंदर की मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका की जिम्मेदारी और शक्ति का भी उदाहरण है। उनकी नियुक्ति मणिपुर जैसे संकटग्रस्त राज्य में न केवल न्यायपालिका की स्थिरता लाएगी, बल्कि जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह विषय भारतीय संविधान, न्यायपालिका, समसामयिक घटनाएँ और कानून-व्यवस्था जैसे कई विषयों को एक साथ जोड़ता है। इसलिए इसे विस्तार से पढ़ना और समझना परीक्षार्थियों के लिए अनिवार्य है।
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