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भारत ने डिएगो गार्सिया के पास किया सैटेलाइट ट्रैकिंग स्टेशन का उद्घाटन :

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भारत डिएगो गार्सिया के पास सैटेलाइट ट्रैकिंग स्टेशन स्थापित करेगा | 2025 समझौता


भारत ने डिएगो गार्सिया के पास किया  सैटेलाइट ट्रैकिंग स्टेशन का उद्घाटन :dailyprime247.com

भारत डिएगो गार्सिया परिचय (Introduction)

भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में अपनी रणनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। 18 सितम्बर 2025 को भारत और मॉरीशस के बीच एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत चागोस द्वीपसमूह के पास स्थित डिएगो गार्सिया के समीप एक उपग्रह ट्रैकिंग और संचार स्टेशन स्थापित किया जाएगा।

यह समझौता मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम की भारत यात्रा के दौरान हुआ। इस केंद्र के माध्यम से भारत अपने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों को ट्रैक कर सकेगा और उनसे डेटा प्राप्त कर सकेगा। यह पहल केवल अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नहीं बल्कि भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति और समुद्री सुरक्षा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।source ;  ISRO – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

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क्यों महत्वपूर्ण हैं, चागोस और डिएगो गार्सिया?

1. भौगोलिक स्थिति

  • चागोस द्वीपसमूह हिंद महासागर के मध्य में स्थित है और इसे पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के बीच का सामरिक जंक्शन (Strategic Junction) माना जाता है।

  • यह क्षेत्र विश्व के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्गों (Sea Lanes of Communication – SLOCs) के पास है, जिनके माध्यम से एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच तेल, गैस और अन्य वस्तुओं का परिवहन होता है।

  • डिएगो गार्सिया, जो इसी द्वीपसमूह का हिस्सा है, अमेरिका और ब्रिटेन के सैन्य अड्डे के कारण पहले से ही वैश्विक सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

  • इस भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ नियंत्रण रखने वाला देश हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की समुद्री सुरक्षा, व्यापार मार्ग और सामरिक संतुलन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

2. सैन्य महत्व

  • डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में स्थित अमेरिका और ब्रिटेन का सबसे बड़ा और रणनीतिक सैन्य अड्डा है।

  • इस अड्डे का उपयोग बीते दशकों में कई अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभियानों में किया गया है, जैसे:

    • इराक युद्ध (2003) – खाड़ी क्षेत्र में हवाई हमलों और लॉजिस्टिक्स के लिए।

    • अफगानिस्तान युद्ध (2001–2021)NATO और अमेरिकी सेनाओं के लिए हवाई एवं नौसैनिक आपूर्ति केंद्र।

    • ग़ल्फ़ (खाड़ी) क्षेत्र में निगरानी और सैन्य उपस्थिति बनाए रखने के लिए।

  • यहाँ से अमेरिकी B-52 और B-2 जैसे बमवर्षक विमानों तथा नौसैनिक जहाज़ों का संचालन होता है।

  • यह अड्डा न केवल मध्य एशिया और खाड़ी क्षेत्र बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी- ब्रिटीश सैन्य प्रभाव को बनाए रखने में सहायक है।

  • इस कारण से डिएगो गार्सिया को वैश्विक स्तर पर सबसे रणनीतिक सैन्य परिसंपत्तियों (Strategic Military Assets) में गिना जाता है।

3. भारत के लिए लाभ

  • उपग्रह निगरानी और ट्रैकिंग क्षमता में वृद्धि

    • डिएगो गार्सिया के पास सैटेलाइट ट्रैकिंग स्टेशन से भारत अपने संचार उपग्रहों, नेविगेशन उपग्रहों और अंतरिक्ष अभियानों पर बेहतर निगरानी रख सकेगा।

    • इससे भारत की ISRO मिशनों की टेलीमेट्री और ट्रैकिंग क्षमता और मजबूत होगी।

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की मौजूदगी का संतुलन

    • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों (जैसे “String of Pearls Strategy”) से सामरिक असंतुलन पैदा हो रहा है।

    • यह स्टेशन भारत को चीन के नौसैनिक ठिकानों और गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेगा।

    • साथ ही भारत को QUAD साझेदारी (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ क्षेत्रीय सहयोग में मजबूती मिलेगी।

  • सामरिक उपस्थिति और कूटनीतिक संतुलन

    • भारत ने मॉरीशस की संप्रभुता का समर्थन करते हुए, ब्रिटेन-अमेरिका की उपस्थिति का सम्मान करके एक कूटनीतिक संतुलन साधा है।

    • इससे भारत को मॉरीशस और पश्चिमी शक्तियों दोनों के साथ सामरिक रिश्ते मजबूत करने का अवसर मिला।

    • यह कदम भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में “नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर” की भूमिका निभाने में सक्षम बनाएगा। SourcePIB – भारत सरकार प्रेस सूचना ब्यूरो


संधि की शर्तें और कूटनीतिक पहल

  • मॉरीशस की संप्रभुता का समर्थन

    • भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस का वैध अधिकार (sovereignty) है।

    • यह कदम भारत की औपनिवेशिक विरासत समाप्त करने और छोटे द्वीप देशों के समर्थन की नीति को दर्शाता है।

  • ब्रिटेन-अमेरिका के नियंत्रण का सम्मान

    • भारत ने साथ ही यह भी माना कि डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन और अमेरिका का सैन्य नियंत्रण यथावत रहेगा

    • इस रुख को अपनाकर भारत ने पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों में सामंजस्य बनाए रखा।

  • द्वैध मान्यता (Dual Recognition)

    • एक ओर भारत ने मॉरीशस के दावे का समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर पश्चिमी सैन्य उपस्थिति का सम्मान किया।

    • यह संतुलित कूटनीतिक रुख भारत को सामरिक पहुँच और व्यापक सहयोग दोनों दिलाता है।

  • प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण

    • पीएम मोदी ने इस समझौते को “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया।

    • उन्होंने भारत की उपनिवेशवाद समाप्त करने की नीति और क्षेत्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया।

    • यह पहल भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति और दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।


समुद्री और अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार

  • संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नौवहन चार्टिंग

    • भारत और मॉरीशस मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करेंगे।

    • इसके अंतर्गत नौवहन चार्टिंग (Navigation Charting) होगी, जिससे सुरक्षित समुद्री मार्ग और व्यापारिक शिपिंग को बढ़ावा मिलेगा।

  • कोस्ट गार्ड सहयोग

    • भारत मॉरीशस कोस्ट गार्ड के जहाज़ों का refitting (पुनः फिटिंग और रखरखाव) करेगा।

    • मॉरीशस के नौसैनिक और कोस्ट गार्ड अधिकारियों को भारत में प्रशिक्षण (Training) दिया जाएगा।

    • इससे मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा क्षमता मजबूत होगी।

  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में सहयोग

    • भारत मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) में गश्त और सुरक्षा कार्यों में सहयोग करेगा।

    • इससे अवैध मछली पकड़ने, समुद्री डकैती और तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

  • क्षमता निर्माण और क्षेत्रीय विकास

    • भारत मॉरीशस का प्राथमिक साझेदार (Primary Partner) बना रहेगा।

    • इसके अंतर्गत समुद्री अवसंरचना, अंतरिक्ष तकनीक और मानव संसाधन विकास में सहायता दी जाएगी।

    • यह पहल हिंद महासागर में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को मजबूत करेगी।


मुख्य बिंदु (Exam-Relevant Facts)

  • मापदंडविवरण
    समझौता किसके साथमॉरीशस
    उद्देश्यउपग्रह ट्रैकिंग और टेलीमेट्री स्टेशन की स्थापना
    रणनीतिक स्थानडिएगो गार्सिया (चागोस द्वीपसमूह) के पास
    महत्वहिंद महासागर में चीन की मौजूदगी का संतुलन
    पहलकदमीअंतरिक्ष और समुद्री सहयोग का विस्तार

    📝 बुलेट पॉइंट्स में (Quick Revision Notes)

    • समझौता: भारत–मॉरीशस

    • उद्देश्य: Satellite Tracking & Telemetry Station

    • स्थान: डिएगो गार्सिया (चागोस द्वीपसमूह)

    • महत्व: चीन की बढ़ती मौजूदगी का संतुलन

    • पहल: Maritime + Space Cooperation Expansion


अतिरिक्त तथ्य (Exam-Oriented Extra Facts)

  • डिएगो गार्सिया: ब्रिटेन के नियंत्रण में चागोस द्वीपसमूह का हिस्सा।

  • UN महासभा (2019): चागोस द्वीपों को मॉरीशस का हिस्सा बताया।

  • भारत-मॉरीशस संबंध: 1970 के दशक से मजबूत रणनीतिक साझेदारी।

  • ISRO की निगरानी क्षमता: विदेशों में पहले से मॉरीशस और नामीबिया में स्टेशन।

  • हिंद-प्रशांत रणनीति: अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की क्वाड साझेदारी।

🔗 (References)


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. भारत और मॉरीशस के बीच 2025 में हुए समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है?
➡️ डिएगो गार्सिया के पास एक उपग्रह ट्रैकिंग और संचार स्टेशन स्थापित करना।

Q2. डिएगो गार्सिया कहाँ स्थित है?
➡️ चागोस द्वीपसमूह, हिंद महासागर में।

Q3. डिएगो गार्सिया पर किस देश का सैन्य अड्डा है?
➡️ अमेरिका और ब्रिटेन।

Q4. भारत ने चागोस द्वीपों पर किसका समर्थन किया?
➡️ मॉरीशस की संप्रभुता का।

Q5. इस समझौते का पहला लाभ भारत को क्या होगा?
➡️ उपग्रह ट्रैकिंग क्षमता और हिंद महासागर में सामरिक उपस्थिति बढ़ाना।


MCQs (Practice Questions)

Q1. भारत किस देश के साथ डिएगो गार्सिया के पास सैटेलाइट स्टेशन स्थापित करेगा?
(a) श्रीलंका
(b) मॉरीशस
(c) सेशेल्स
(d) मालदीव
✅ उत्तर: (b) मॉरीशस

Q2. डिएगो गार्सिया किस द्वीपसमूह का हिस्सा है?
(a) अंडमान-निकोबार
(b) चागोस
(c) मालदीव
(d) सेशेल्स
✅ उत्तर: (b) चागोस

Q3. डिएगो गार्सिया पर किस देश का सैन्य अड्डा है?
(a) रूस
(b) अमेरिका-ब्रिटेन
(c) फ्रांस
(d) जापान
✅ उत्तर: (b) अमेरिका-ब्रिटेन

Q4. भारत ने चागोस द्वीपों पर किस देश की संप्रभुता का समर्थन किया?
(a) ब्रिटेन
(b) फ्रांस
(c) मॉरीशस
(d) अमेरिका
✅ उत्तर: (c) मॉरीशस

Q5. इस समझौते के तहत भारत मॉरीशस को क्या सहायता देगा?
(a) केवल आर्थिक सहयोग
(b) कोस्ट गार्ड जहाज़ों का refitting और प्रशिक्षण
(c) चुनावी सुधार
(d) नई राजधानी निर्माण
✅ उत्तर: (b) कोस्ट गार्ड जहाज़ों का refitting और प्रशिक्षण

Q6. UN महासभा ने 2019 में चागोस द्वीपों को किस देश का हिस्सा माना?
(a) भारत
(b) श्रीलंका
(c) मॉरीशस
(d) ब्रिटेन
✅ उत्तर: (c) मॉरीशस

Q7. भारत ने इस स्टेशन को क्यों महत्वपूर्ण माना?
(a) खेल सुविधाओं के लिए
(b) उपग्रह ट्रैकिंग और चीन की मौजूदगी संतुलित करने के लिए
(c) पर्यटन के लिए
(d) तेल उत्पादन के लिए
✅ उत्तर: (b) उपग्रह ट्रैकिंग और चीन की मौजूदगी संतुलित करने के लिए

Q8. मॉरीशस के प्रधानमंत्री का नाम क्या है जिन्होंने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए?
(a) प्रविंद जगन्नाथ
(b) नवीनचंद्र रामगुलाम
(c) पॉल बेरेंजर
(d) अनिरुद्ध जगन्नाथ
✅ उत्तर: (b) नवीनचंद्र रामगुलाम

Q9. भारत की क्वाड साझेदारी किन देशों के साथ है?
(a) अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया
(b) रूस, चीन, ब्राजील
(c) जर्मनी, फ्रांस, इटली
(d) UAE, सऊदी अरब, ईरान
✅ उत्तर: (a) अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया

Q10. भारत का कौन सा संगठन उपग्रह ट्रैकिंग के लिए जिम्मेदार है?
(a) DRDO
(b) ISRO
(c) HAL
(d) BEL
✅ उत्तर: (b) ISRO


निष्कर्ष (Conclusion)

भारत और मॉरीशस का यह समझौता केवल अंतरिक्ष और तकनीकी सहयोग ही नहीं बल्कि समुद्री सुरक्षा और भू-राजनीतिक रणनीति के लिहाज़ से भी ऐतिहासिक है। इससे भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को मजबूत करेगा और चीन की गतिविधियों का संतुलन बनाएगा।

👉 Key Takeaway for Exams: भारत-मॉरीशस समझौता 2025 → डिएगो गार्सिया के पास उपग्रह ट्रैकिंग स्टेशन → संप्रभुता पर मॉरीशस का समर्थन → पहला लाभ: निगरानी और सामरिक बढ़त।

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